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आई गोरी राधिका, ब्रज में बलखाती...नीनू मजूमदार की धुन और राज कपूर की स्मरण शक्ति


१९७८ में राज कपूर द्वारा निर्मित-निर्देशित फिल्म ‘सत्यं शिवं सुन्दरम्’ प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म का एक गीत ‘यशोमति मैया से बोले नन्दलाला...’ बेहद लोकप्रिय पहले भी था और आज भी है। इसके गीतकार नरेन्द्र शर्मा और संगीतकार लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल थे। इस सुमधुर गीत की धुन के लिए लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल को भरपूर श्रेय दिया गया था। बहुत कम लोगों का ध्यान इस तथ्य की ओर गया होगा कि इस मोहक गीत की धुन के कारक स्वयं राज कपूर ही थे।

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 802/2011/242

स्वप्नदर्शी फ़िल्मकार राज कपूर के संगीतकारों पर केन्द्रित श्रृंखला “आधी हकीकत आधा फसाना” की दूसरी कड़ी में, मैं कृष्णमोहन मिश्र, अपने पाठकों-श्रोताओं का स्वागत करता हूँ। आज हम राज कपूर द्वारा अभिनीत एक फिल्म के माध्यम से फिल्म-संगीत के प्रति उनकी सोच को स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे। राज कपूर के निकट के लोगों का मानना था कि उनके मन में पहले ध्वनियों का जन्म होता था, फिर दृश्य-संरचना का विचार विकसित होता था। एक धुन या दृश्य राज कपूर के मन के तहखाने में वर्षों तक दबी रहती थी। सही समय और सही प्रसंग में राज कपूर उनका उपयोग कर फिल्म को विशिष्ट बना देते थे। संगीतकार लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल ने राज कपूर की संगीत-क्षमता के बारे में एक अवसर पर कहा था- ‘यदि वे संगीतकार बनना चाहते तो सर्वश्रेष्ठ संगीतकार सिद्ध होते...’।

राज कपूर को संगीत के प्रति लगाव बचपन से ही था। उनकी माँ रमाशरणी देवी लोकगीतों की विदुषी थीं। उनके पास संस्कार गीतों का भंडार था। राज कपूर पर अपनी माँ के लोकगीतों का विशेष प्रभाव पड़ा। किशोरावस्था में राज कपूर अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के साथ नियमित रूप से कोलकाता के न्यू थियेटर के संगीत कक्ष में जाया करते थे, वहाँ आर.सी. बोराल और सहगल जैसे दिग्गज रियाज किया करते थे। न्यू थियेटर के संगीत कक्ष में ही राज कपूर ने तबला बजाना और रवीन्द्र संगीत गाना सीखा। अपनी युवावस्था के आरम्भिक दिनों में कुछ समय तक राज कपूर ने विधिवत शास्त्रीय संगीत भी सीखा था। यहीं पर मुकेश भी संगीत सीखने आते थे। इन गुरु-भाइयों की आजीवन मित्रता का बीजारोपण भी यहीं पर हुआ। संगीत के प्रति असीम श्रद्धा होने के कारण दृश्य संरचना से पहले राज कपूर के मन में ध्वनियों का जन्म हो जाता था। उनकी पूरी फिल्म एक ‘ऑपेरा’ की तरह होती थी। फिल्म का पूरा कथानक संगीत की धुरी के चारो ओर घूमता है। राज कपूर व्यक्ति को भूल सकते थे, किन्तु एक सुनी हुई धुन कभी नहीं भूलते थे।

१९७८ में राज कपूर द्वारा निर्मित-निर्देशित फिल्म ‘सत्यं शिवं सुन्दरम्’ प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म का एक गीत ‘यशोमति मैया से बोले नन्दलाला...’ बेहद लोकप्रिय पहले भी था और आज भी है। इसके गीतकार नरेन्द्र शर्मा और संगीतकार लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल थे। इस सुमधुर गीत की धुन के लिए लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल को भरपूर श्रेय दिया गया था। बहुत कम लोगों का ध्यान इस तथ्य की ओर गया होगा कि इस मोहक गीत की धुन के कारक स्वयं राज कपूर ही थे। दरअसल राज कपूर ने १९४८ में प्रदर्शित फिल्म ‘गोपीनाथ’ में अभिनय किया था। इस फिल्म को राज कपूर और नायिका तृप्ति मित्रा के उत्कृष्ट अभिनय और संगीतकार नीनू मजुमदार के मधुर संगीत के लिए सदा याद रखा जाएगा। फिल्म के गीतों को स्वयं नीनू मजुमदार, मीना कपूर और शमशाद बेगम ने स्वर दिया था। फिल्म के एक युगल गीत- ‘बाली उमर पिया मोर...’ में शमशाद बेगम के साथ राज कपूर का स्वर भी है। फिल्म ‘गोपीनाथ’ का जो गीत हम आज आपको सुनवाने जा रहे हैं, उसके बोल हैं- ‘आई गोरी राधिका, ब्रज में बलखाती...’। इस गीत को नीनू मजुमदार और मीना कपूर ने स्वर दिया है। राग भैरवी पर आधारित सूरदास का यह पद राज कपूर पर फिल्माया नहीं गया था, इसके बावजूद इसकी प्यारी धुन उनके मन के अन्तस्थल में तीन दशको तक सुरक्षित दबी पड़ी रही। १९७८ में जब राज कपूर के निर्देशन में फिल्म ‘सत्यं शिवम सुन्दरम्’ का निर्माण हो रहा था, तीन दशक पुरानी यह धुन उनकी स्मृतियों के तहखाने से निकल कर बाहर आई। कवि नरेन्द्र शर्मा ने इस धुन को शब्दों से, लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल ने संगीत वाद्यों से और लता मंगेशकर व मन्ना दे ने स्वरों से सजाया। लीजिए, आप सुनिये राज कपूर द्वारा अभिनीत, फिल्म ‘गोपीनाथ’ का गीत- ‘आई गोरी राधिका, ब्रज में बलखाती...’, और तुलना कीजिए राज कपूर द्वारा निर्मित-निर्देशित फिल्म ‘सत्यं शिवं सुन्दरम्’ के उस लोकप्रिय गीत से।



क्या आप जानते हैंफिल्म ‘प्रेम रोग’ के गीत ‘ये गलियाँ, ये चौबारा...’ राज कपूर ने ४० वर्ष पूर्व अपनी एक प्रेमिका से सुना था। चूँकि लड़की के पिता राज कपूर को घरजमाई बनाना चाहते थे इसलिए यह प्रेम सम्बन्ध, विवाह में परिवर्तित नहीं हो सका।

पहचानें अगला गीत - शेवन रिज़वी लिखित इस गीत के मुखड़े में शब्द है "जवानी"-
१. फिल्म का नाम बताएं - २ अंक
२. मुकेश के स्वर से सजे इस गीत के संगीतकार का नाम - ३ अंक


खोज व आलेख-

कृष्णमोहन मिश्र



इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें admin@radioplaybackindia.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें +91-9871123997 (सजीव सारथी) या +91-9878034427 (सुजॉय चटर्जी) को

Comments

Sajeev said…
ये गाना मैं आज पहली बार सुना, वाकई एकदम धुन मिलती जुलती है...कमाल का शोध है कृष्ण मोहन जी :)
धन्यवाद !
बहारों ने जिसे छेड़ा .....हा हा हा फ़साना है इसमें मेरी जवानी का
सुनहरे दिन फिल्म का गाना है जी
उत्तर सही है तो मैंने बताया है और गलत है तो........... अमित...अमित ने फोन पर बताया है हा हा हा
मैं बिलकुल झूठ नही बोलती जी.एकदम सच्ची हूँ.अमित ऐसे उत्तर टीपाना चाहिए भला?
बहारों ने जिसे छेड़ा .....हा हा हा फ़साना है इसमें मेरी जवानी का
सुनहरे दिन फिल्म का गाना है जी
उत्तर सही है तो मैंने बताया है और गलत है तो........... अमित...अमित ने फोन पर बताया है हा हा हा
मैं बिलकुल झूठ नही बोलती जी.एकदम सच्ची हूँ.अमित ऐसे उत्तर टीपाना चाहिए भला?
Amit said…
एकदम जबरदस्त. मैंने भी पहली बार सुना ये गाना. साधुवाद.
mera kment kahan chla gaya bhai ?
'sunahare din' kahan gaye?
AVADH said…
वाह, कृष्ण मोहन जी, वाह! सजीव जी का कहना बिलकुल दुरुस्त है. कमाल कर दिया आपने.
वैसे यह बात कई बार कही जा चुकी है कि राज कपूर जी की फिल्मों में असली संगीत उन्हीं का होता था.
यही कारण है कि कई बाद की फिल्मों में उन्हीं की पुरानी फिल्मों के पार्श्व संगीत की धुनों का कई बार मुखड़े या अंतरों में प्रयोग किया जाता रहा है.
जब भारतीय फिल्म जगत की दो मूर्धन्य हस्तियाँ जीवित थीं तब मैंने एक स्थान पर पढ़ा था कि सत्यजित राय जी ने एक हिंदी फिल्म की योजना बनायीं थी और राज कपूर साहेब को इस बात पर राज़ी भी कर लिया था कि उस फिल्म में वोह संगीत देंगे.
अवध लाल
PANKAJ MUKESH said…
MY REPLY ABOUT QUESTION ASKED AT THE END OF COLUMN-
आई गोरी राधिका, ब्रज में बलखाती...नीनू मजूमदार की धुन और राज कपूर की स्मरण शक्ति
पहचानें अगला गीत - शेवन रिज़वी लिखित इस गीत के मुखड़े में शब्द है "जवानी"-
१. फिल्म का नाम बताएं - २ अंक
२. मुकेश के स्वर से सजे इस गीत के संगीतकार का नाम - ३ अंक
ANSWERS-SONG BAHARON NE JISE CHHEDA WO SAJE JAWANI HAI.....
1. FILM SUNAHRE DIN-1949-RAJ KAPOOR, LYRICS-SHEWAN RIJVI
2. SINGER- MUKESH, MUSIC DIRECTOR -GYAN DUTT

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