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Showing posts with the label प्रेमचंद

निर्वासन (बोलती कहानियाँ सीज़न 1) पॉडकास्ट # 13

रेडियो प्लेबैक इंडिया के साप्ताहिक स्तम्भ ' बोलती कहानियाँ ' के अंतर्गत हम आपको सुनवाते हैं हिन्दी की नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। बोलती कहानियाँ (सीज़न 1) केे पॉडकास्ट # 13 में आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मुंशी प्रेमचंद की एक मर्मस्पर्शी कथा " निर्वासन ", अर्चना चावजी और अनुराग शर्मा के स्वर में। हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी "पहले यह बताओ तुम इतने दिनों से कहाँ रहीं, किसके साथ रहीं, किस तरह रहीं और फिर यहाँ किसके साथ आयीं?" ( मुंशी प्रेमचंद की "निर्वासन" से एक अंश ) यूट्यूब पर जियो सावन एंकर पर सुनिये ऐपल पॉडकास्ट स्पॉटिफ़ाइ पर सुनिये एमेज़ॉन म्यूज़िक प्राइम गूगल पॉडकास्ट पर सुनिये एक शताब्दी से हिन्दी (एवं उर्दू) साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद का नाम एक सूर्य की तरह चमक रहा है। विशेषकर, ज़मीन से जुड़े एक कथाकार के रूप में उनकी अलग ही पहचान है। उनके पात्रों और कथाओं का क्षेत्र काफी विस्तृत है फिर भी उनकी अनेक कथाएँ भारत के ग्रामीण मानस का चित्र

महरी (बोलती कहानियाँ सीज़न 1) पॉडकास्ट # 10

रेडियो प्लेबैक इंडिया के साप्ताहिक स्तम्भ ' बोलती कहानियाँ ' के अंतर्गत हम आपको सुनवाते हैं हिन्दी की नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। बोलती कहानियाँ (सीज़न 1) केे पॉडकास्ट # 10 में आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मुंशी प्रेमचंद की एक मज़ेदार कथा " महरी ", अनुराग शर्मा के स्वर में। हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी घरबार का सारा काम सदा स्वयं ही समय पर हो जाता, हमारी गाड़ी कभी ‘लेट’ होती ही नहीं। ( मुंशी प्रेमचंद की "महरी" से एक अंश ) यूट्यूब पर जियो सावन एंकर पर सुनिये ऐपल पॉडकास्ट स्पॉटिफ़ाइ पर सुनिये एमेज़ॉन म्यूज़िक प्राइम गूगल पॉडकास्ट पर सुनिये एक शताब्दी से हिन्दी (एवं उर्दू) साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद का नाम एक सूर्य की तरह चमक रहा है। विशेषकर, ज़मीन से जुड़े एक कथाकार के रूप में उनकी अलग ही पहचान है। उनके पात्रों और कथाओं का क्षेत्र काफी विस्तृत है फिर भी उनकी अनेक कथाएँ भारत के ग्रामीण मानस का चित्रण करती हैं। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। वे उर्

ऑडियो: कुत्सा (मुंशी प्रेमचंद)

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने  अनुराग शर्मा  के स्वर में उन्हीं की लघुकथा ' हल ' सुनी थी। आज, मुंशी प्रेमचंद के जन्मदिन के अवसर पर, हम आपकी सेवा में उन्हीं की एक कथा  कुत्सा   प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे स्वर दिया है  अनुराग शर्मा  ने। एक शताब्दी से हिन्दी (एवं उर्दू) साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद का नाम एक सूर्य की तरह चमक रहा है। विशेषकर, ज़मीन से जुड़े एक कथाकार के रूप में उनकी अलग ही पहचान है। उनके पात्रों और कथाओं का क्षेत्र काफी विस्तृत है फिर भी उनकी अनेक कथाएँ भारत के ग्रामीण मानस का चित्रण करती हैं। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। वे उर्दू में नवाब राय और हिन्दी में प्रेमचंद के नाम से लिखते रहे। आम आदमी की बेबसी हो या हृदयहीनों की अय्याशी, बचपन का आनंद हो या बुढ़ापे की जरावस्था, उनकी कहानियों में सभी अवस्थाएँ मिलेंगी और सभी भाव भी। उनकी कहानियों पर फिल्में भी बनी हैं और अनेक रेडियो व टीवी कार्यक्रम भी। उनकी पहली हिन्दी कहानी सरस्वती पत्रिका के दिसंबर 1915 के अंक में "

पञ्च परमेश्वर (मुंशी प्रेमचंद)

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने  अनुराग शर्मा  के स्वर में ज्योत्सना सिंह की कहानी ' भावनाओं का सम्बल ' सुनी थी। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मुंशी प्रेमचंद की एक प्रेरक कथा पञ्च परमेश्वर जिसे स्वर दिया है  अनुराग शर्मा  ने। एक शताब्दी से हिन्दी (एवं उर्दू) साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद का नाम एक सूर्य की तरह चमक रहा है। विशेषकर, ज़मीन से जुड़े एक कथाकार के रूप में उनकी अलग ही पहचान है। उनके पात्रों और कथाओं का क्षेत्र काफी विस्तृत है फिर भी उनकी अनेक कथाएँ भारत के ग्रामीण मानस का चित्रण करती हैं। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। वे उर्दू में नवाब राय और हिन्दी में प्रेमचंद के नाम से लिखते रहे। आम आदमी की बेबसी हो या हृदयहीनों की अय्याशी, बचपन का आनंद हो या बुढ़ापे की जरावस्था, उनकी कहानियों में सभी अवस्थाएँ मिलेंगी और सभी भाव भी। उनकी कहानियों पर फिल्में भी बनी हैं और अनेक रेडियो व टीवी कार्यक्रम भी। उनकी पहली हिन्दी कहानी सरस्वती पत्रिका के दिसंबर 1915 के अंक में &quo

राष्ट्र का सेवक: मुंशी प्रेमचंद

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने  अनुराग शर्मा  के स्वर में राधेश्याम भारतीय  की लघुकथा  मुआवज़ा  का पाठ सुना था। 31 जुलाई को मुंशी प्रेमचंद के जन्मदिन के अवसर पर आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं उन्हीं की एक भावमय कथा राष्ट्र का सेवक  जिसे स्वर दिया है  अनुराग शर्मा ने। एक शताब्दी से हिन्दी (एवं उर्दू) साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद का नाम एक सूर्य की तरह चमक रहा है। विशेषकर, ज़मीन से जुड़े एक कथाकार के रूप में उनकी अलग ही पहचान है। उनके पात्रों और कथाओं का क्षेत्र काफी विस्तृत है फिर भी उनकी अनेक कथाएँ भारत के ग्रामीण मानस का चित्रण करती हैं। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। वे उर्दू में नवाब राय और हिन्दी में प्रेमचंद के नाम से लिखते रहे। आम आदमी की बेबसी हो या हृदयहीनों की अय्याशी, बचपन का आनंद हो या बुढ़ापे की जरावस्था, उनकी कहानियों में सभी अवस्थाएँ मिलेंगी और सभी भाव भी। उनकी कहानियों पर फिल्में भी बनी हैं और अनेक रेडियो व टीवी कार्यक्रम भी। उनकी पहली हिन्दी कहानी स

प्रेमचंद की 'बड़े भाई साहब' ऑडियो

लोकप्रिय स्तम्भ " बोलती कहानियाँ " के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। इस शृंखला में पिछली बार आपने पूजा अनिल के स्वर में  प्रमिला वर्मा की लघुकथा  कारा मत नापो मिन्नी का वाचन सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं प्रेमचंद की कहानी  बड़े भाई साहब , जिसे स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। प्रस्तुत अंश का कुल प्रसारण समय 24 मिनट 50 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। मुंशी प्रेमचंद हिंदी और उर्दू के प्राख्यात कथाकार हैं। मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ... मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं ~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६) हर सप्ताह सुनिए हिन्दी में एक नयी कहानी मेरा जी पढने में बिलकुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना प

प्रेमचंद की कथा बंद दरवाज़ा

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा के स्वर में  अशोक भाटिया  की लघुकथा  पापा जब बच्चे थे  का वाचन सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं, उषा छाबड़ा  के स्वर में मुंशी प्रेमचंद की कथा बंद दरवाज़ा । बंद दरवाज़ा  का कुल प्रसारण समय 3 मिनट 40 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।       प्रेमचंद के जन्मदिन 31 जुलाई पर विशेष प्रस्तुति मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं ~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६) हर सप्ताह सुनिए हिन्दी में एक नयी कहानी उसकी शरारतें शुरू हो गईं। कभी कलम पर हाथ बढाया कभी कागज़ पर। ( प्रेमचंद की 'बंद दरवाज़ा' स

मुंशी प्रेमचंद की कहानी "खून सफ़ेद"

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में शोभा रस्तोगी "शोभा" की लघुकथा " कत्ल किसका " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मुंशी प्रेमचंद की कहानी "खून सफ़ेद" जिसे स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। कहानी "खून सफ़ेद" का कुल प्रसारण समय 30 मिनट 33 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं ~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६) हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी पादरी मोहनदास खेमे से बाहर निकले तो साधो उन्हें खड़ा दिखाई दिया ( मुंशी प्रेमचंद की कहानी "खून सफ़ेद" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें: खून सफ