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चैत्र मास और चैती का रंग

स्वरगोष्ठी – ६२ में आज ‘सेजिया से सइयाँ रूठि गइलें हो रामा.....’ भारतीय संगीत की कई ऐसी लोक-शैलियाँ हैं, जिनका प्रयोग उपशास्त्रीय संगीत में भी किया जाता है। होली पर्व के बाद, आरम्भ होने वाले चैत्र से ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो जाता है। इस परिवेश में पूरे उत्तर भारत में चैती-गायन आरम्भ हो जाता है। गाँव की चौपालों से लेकर मेलों में, मंदिरों में चैती के स्वर गूँजने लगते हैं। ‘स्व रगोष्ठी’ के एक नए अंक में, मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करता हूँ। मित्रों, भारतीय संगीत के अक्षय भण्डार में ऋतु-प्रधान गीत-संगीत का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बसन्त ऋतु से आरम्भ होकर पावस ऋतु की समाप्ति तक देश के हर क्षेत्र और हर आंचलिक बोलियों में, प्रकृति के हर बदलाव को रेखांकित करते ग्राम्य-गीतों का खजाना है। होलिका-दहन के अगले दिन से ही भारतीय पंचांग का चैत्र मास आरम्भ हो जाता है। प्रकृति में ग्रीष्म का प्रभाव बढ़ने लगता है और खेतों में कृषक का श्रम सार्थक नज़र आने लगता है। ऐसे परिवेश में जनजीवन उल्लास से परिपूर्ण होकर गा उठता है। उत्तर भारत में इस गीत को चैती, चैता या घाटो के न

स्वरगोष्ठी – 61 विविध संगीत शैलियो में होली के इन्द्रधनुषी रंग

स्वरगोष्ठी – ६१ में आज ‘चोरी चोरी मारत हो कुमकुम.....’ भारतीय पर्वों में होली एक ऐसा पर्व है, जिसमें संगीत-नृत्य की प्रमुख भूमिका होती है। जनसामान्य अपने उल्लास को व्यक्त करने के लिए मुख्य रूप से देशज संगीत का सहारा लेता है। इस अवसर पर प्रस्तुत की जाने वाली रचनाओं में लोक-संगीत की प्रधानता के बावजूद सभी भारतीय संगीत शैलियों में होली की रचनाएँ प्रमुख रूप से उपलब्ध हैं। आज के अंक में हम आपके लिए कुछ संगीत शैलियों में रंगोत्सव के चुनिन्दा गीतों पर चर्चा करेंगे।     इ न्द्रधनुषी रंगों में भींगे तन-मन लिये ‘स्वरगोष्ठी’ के अपने समस्त पाठकों-श्रोताओं का, मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः अबीर-गुलाल के साथ स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। रंगोत्सव के उल्लासपूर्ण परिवेश में ‘स्वरगोष्ठी’ के पिछले अंक में हमने आपके लिए राग काफी में निबद्ध कुछ संगीत-रचनाओं को प्रस्तुत किया था। आज के अंक में हम यह सिलसिला जारी रखते हुए कुछ अन्य संगीत शैलियों की फाल्गुनी रचनाएँ लेकर उपस्थित हुए हैं। आज प्रस्तुत की जाने वाली होली रचनाएँ हमने राग काफी से इतर रागों में चुनी है। आज की इस सतरंगी गोष्ठी का आरम्भ हम एक