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संगीत वाद्य परिचय श्रृंखला : पं. श्रीकुमार मिश्र से बातचीत (२)

स्वरगोष्ठी – ८९ में आज   परदे वाले गज वाद्यों की मोहक अनुगूँज   ‘स्वरगोष्ठी’ के एक नए अंक के साथ, मैं कृष्णमोहन मिश्र फिर एक बार आज की महफिल में उपस्थित हूँ और आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। गत सप्ताह हमारे बीच जाने-माने इसराज और मयूरवीणा-वादक पण्डित श्रीकुमार मिश्र उपस्थित थे, जिन्होने गज-तंत्र वाद्य सारंगी के विषय में हमारे साथ विस्तृत चर्चा की थी। हमारे अनुरोध पर श्रीकुमार जी आज भी हमारे साथ हैं। आज हम उनसे कुछ ऐसे गज-तंत्र वाद्यों का परिचय प्राप्त करेंगे, जिनमें परदे होते हैं। कृष्णमोहन : श्रीकुमार जी, ‘स्वरगोष्ठी’ के सुरीले मंच पर एक बार पुनः आपका हार्दिक स्वागत है। गत सप्ताह हमने आपसे सारंगी वाद्य के बारे में चर्चा की थी। आज इस श्रृंखला में एक और कड़ी जोड़ते हुए सारंगी के ही एक परिवर्तित रूप के बारे में जानना चाहते हैं। वर्तमान में इसराज, दिलरुबा, तार शहनाई और स्वयं आप द्वारा पुनर्जीवित वाद्य मयूरवीणा ऐसे वाद्य हैं, जो गज से बजाए जाते हैं, किन्तु इनमें सितार की भाँति परदे लगे होते हैं। इन परदे वाले गज-वाद्यों की विकास-यात्रा के बारे मे