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OIG - शनिवार विशेष - 51 - "किशोर दा के कई गीतों में पिताजी का बड़ा योगदान था"

पार्श्वगायिका पूर्णिमा (सुषमा श्रेष्ठ) अपने पिता व विस्मृत संगीतकार भोला श्रेष्ठ को याद करते हुए... Bhola Shreshtha (PC: Minal Rajendra Misra) ओल्ड इज़ गोल्ड' के सभी दोस्तों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार, और स्वागत है आप सभी का इस 'शनिवार विशेषांक' में। दोस्तों, १९३१ से लेकर अब तक फ़िल्म-संगीत संसार में न जाने कितने संगीतकार हुए हैं, जिनमें से बहुत से संगीतकारों को अपार सफलता और शोहरत हासिल हुई, और बहुत से संगीतकार ऐसे भी हुए जिन्हें वो मंज़िल नसीब नहीं हुई जिसकी वो हक़दार थे। कभी छोटी बजट की फ़िल्मों में मौका पाने की वजह से तो कभी स्टण्ट या धार्मिक फ़िल्मों का ठप्पा लगने की वजह से, कभी व्यक्तिगत कारणों से और कभी कभी सिर्फ़ क़िस्मत के खेल की वजह से ये प्रतिभाशाली संगीतकार गुमनामी में रह कर चले गए। पर फ़िल्म-संगीत के धरोहर को अपनी सुरीली धुनों से समृद्ध कर गए। ऐसे ही एक कमचर्चित पर गुणी संगीतकार हुए भोला श्रेष्ठ। आज की पीढ़ी के अधिकतर नौजवानों को शायद यह नाम कभी न सुना हुआ लगे, पर गुज़रे ज़माने के सुरीले संगीत में दिलचस्पी रखने वालों को भोला जी का नाम ज़रूर याद होगा।