'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में रामदरश मिश्र की कथा लड़की का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं पांडेय बेचन शर्मा उग्र की कथा "मूर्खा", जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।
कहानी का कुल प्रसारण समय 6 मिनट 15 सेकण्ड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को स्वर देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।
नीचे के प्लेयर से सुनें.
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यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाउनलोड कर लें:
मूर्खा mp3
#Twenty Eighth Story: Murkha; Author: Pandey Bechan Sharma 'Ugra'; Voice: Anurag Sharma; Hindi Audio Book/2019/28.
मंगलवार, 29 अक्तूबर 2019
रविवार, 27 अक्तूबर 2019
राग गुणकली : SWARGOSHTHI – 440 : RAG GUNAKALI
दीपोत्सव पर सभी पाठकों और श्रोताओं को हार्दिक शुभकामनाएँ
स्वरगोष्ठी – 440 में आज
भैरव थाट के राग – 6 : राग गुणकली
संजीव अभ्यंकर से राग गुणकली में शास्त्रीय रचना और मुहम्मद रफी से फिल्मी गीत सुनिए
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संजीव अभ्यंकर |
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मुहम्मद रफी |
राग गुणकली
को भैरव थाट जन्य राग माना गया है। इसमें ऋषभ और धैवत कोमल तथा तथा शेष
स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। गान्धार और निषाद स्वर वर्जित होने के
कारण इसकी जाति औड़व-औड़व होती है। वादी स्वर धैवत और संवादी स्वर ऋषभ होता
है। कुछ मतानुसार वादी स्वर पंचम और संवादी स्वर षडज भी माना जाता है। यह
भैरव अंग का राग है, जो प्रातःकाल सन्धिप्रकाश के समय गाया-बजाया जाता है।
उत्तरांग वादी तथा गायन समय दिन के उत्तर अंग में होने के बावजूद इस राग का
चलन पूर्वांग प्रधान होता है और मन्द्र तथा मध्य सप्तकों के पूर्वांग में
इसका चलन विशेष रूप होता है। भैरव अंग दिखाने के लिए कभी-कभी शुद्ध गान्धार
कण के रूप में प्रयोग किया जाता है। राग गुणकली की प्रकृति गम्भीर होती
है। अब हम आपको सुविख्यात गायक पण्डित संजीव अभ्यंकर के स्वर में राग
गुणकली में निबद्ध एक रचना सुनवाते हैं। इस प्रस्तुति में हारमोनियम पर
प्रमोद मराठे और तबले पर भरत कामत ने संगति की है।
राग गुणकली : “डमरू हर कर बाजे...” : पण्डित संजीव अभ्यंकर
संगीतज्ञ
पण्डित श्रीकुमार मिश्र के अनुसार राग गुणकली, राग भैरव से अधिक गम्भीर
है। मींड़ में मध्यम से ऋषभ स्वर तक जाते समय गान्धार स्वर का जरा सा भी
स्पर्श नहीं होना चाहिए। इससे राग जोगिया की छाया आएगी। राग जोगिया में
करुण भाव निहित है, जबकि राग गुणकली की प्रवृत्ति गुरु-गम्भीर होती है।
मध्यम और कोमल ऋषभ स्वर को मींड़ द्वारा लेने पर गम्भीर भाव कायम होगा। यह
पूर्वांग प्रधान राग है। पूर्वांग के स्वरों का प्रयोग गाम्भीर्य भाव की
उत्पत्ति के लिए सहायक सिद्ध होता है। इस राग की रचना विलम्बित और मध्यलय
उपयुक्त होगी। द्रुतलय की रचना इस राग के भाव में व्यवधान उत्पन्न करेगा।
राग गुणकली का गाम्भीर्य डिप्रेशन और चिन्ताविकृति को दूर का रास्ता
दिखाएगा और शान्ति कायम करेगा। पीड़ित व्यक्ति को इस राग के श्रवण से अपार
शान्ति मिलेगी और वह धीरे-धीरे वह स्वस्थ और सामान्य हो सकता है। अब हम
आपको राग गुणकली का स्पर्श करते एक फिल्मी गीत का रसास्वादन करवाते हैं। यह
गीत हमने वर्ष 1954 में प्रदर्शित फिल्म “तुलसीदास” से लिया है। चौताल और
कहरवा ताल में निबद्ध इस गीत को सुविख्यात गायक मुहम्मद रफी ने स्वर दिया
है। गीतकार गोपाल सिंह नेपाली ने यह गीत लिखा और इसका संगीत चित्रगुप्त ने
दिया है। हिन्दी फिल्मी गीतों में रागों की स्थिति के शोधकर्त्ता के.एल.
पाण्डेय के अनुसार इस गीत में मुख्यरूप से राग गुणकली परिलक्षित होता है,
किन्तु कहीं-कहीं राग भैरव का स्पर्श भी किया गया है।
राग गुणकली : “हे महादेव मेरी लाज रहे...” : मुहम्मद रफी : फिल्म – तुलसीदास
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 440वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1979 में प्रदर्शित एक
फिल्म के गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक
अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही
उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। इस अंक की
पहेली का उत्तर प्राप्त होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे,
उन्हें वर्ष 2019 के चौथे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही
पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की
घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का आधार है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायिका का स्वर है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 2 नवम्बर, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 442 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी”
के 438वें अंक की पहेली में हमने आपके लिए एक रागबद्ध गीत का एक अंश सुनवा
कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक प्राप्त करने के लिए कम से कम दो
प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा आपसे की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही
उत्तर है; राग – कलिंगड़ा (साथ ही राग भैरव की छाया भी है), दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, खण्डवा, मध्य प्रदेश से रविचन्द्र जोशी, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी और अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया। उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को दो-दो अंक मिलते हैं, जबकि पाली बार पहेली में भाग ले रहे एक प्रतिभागी अरविन्द मिश्र
का तीन में से केवल एक उत्तर ही सही होने के कारण इन्हें एक अंक ही दिए जा
रहे हैं। सभी विजेताओं को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
श्रृंखला “भैरव थाट के राग” की छठी कड़ी में आज आपने भैरव थाट के जन्य राग
गुणकली का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस शैली के शास्त्रीय स्वरूप को
समझने के लिए आपने सुविख्यात युवा संगीतज्ञ पण्डित संजीव अभ्यंकर से इस राग
की एक रचना का रसास्वादन किया। राग गुणकली के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत
के उदाहरण के लिए हमने आपके लिए सुप्रसिद्ध गायक मुहम्मद रफी के स्वर में
फिल्म “तुलसीदास” का एक गीत प्रस्तुत किया। अगले अंक से हम एक नई श्रृंखला
का शुभारम्भ करेंगे। कुछ तकनीकी समस्या के कारण “स्वरगोष्ठी” की पिछली कुछ
कड़ियाँ हम “फेसबुक” पर अपने कुछ मित्र समूह पर साझा नहीं कर पा रहे थे।
संगीत-प्रेमियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com
पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें।
“स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया
हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो
तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका
कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग गुणकली : SWARGOSHTHI – 440 : RAG GUNAKALI : 27 अक्तूबर, 2019
मंगलवार, 22 अक्तूबर 2019
ऑडियो कथा: लड़की (रामदरश मिश्र)
'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में ज्योत्सना सिंह की लघुकथा पश्मीना का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं रामदरश मिश्र की कथा "लड़की", जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।
कहानी का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 44 सेकण्ड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को स्वर देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।
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लड़की mp3
#Twenty Seventh Story: Ladki; Author: Ramdarash Mishra; Voice: Anurag Sharma; Hindi Audio Book/2019/27.
कहानी का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 44 सेकण्ड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को स्वर देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।
15 अगस्त, 1924 को गोरखपुर जिले के डुमरी गाँव में जन्मे डॉ. रामदरश मिश्र हिंदी के प्रख्यात लेखक हैं। साहित्य की विविध विधाओं में अनेक पुस्तकें प्रकाशित, अनेक सम्मान प्राप्त। प्रमुख रचनाएँ: बैरंग-बेनाम चिट्ठियाँ, पक गयी है धूप, कंधे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, जुलूस कहाँ जा रहा है, आग कुछ नहीं बोलती, बारिश में भीगते बच्चे, हँसी ओठ पर आँखें नम हैं https://ramdarashmishra.blogspot.com/ हर सप्ताह यहीं पर सुनिए एक नयी कहानी "उसने मेरी ओर देखा, कुछ बोली नहीं, पढ़ने लगी।" (रामदरश मिश्र की "लड़की" से एक अंश) |
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लड़की mp3
#Twenty Seventh Story: Ladki; Author: Ramdarash Mishra; Voice: Anurag Sharma; Hindi Audio Book/2019/27.
रविवार, 20 अक्तूबर 2019
राग कलिंगड़ा : SWARGOSHTHI – 439 : RAG KALINGADA
स्वरगोष्ठी – 439 में आज
भैरव थाट के राग – 5 : राग कलिंगड़ा
कौशिकी चक्रवर्ती से राग कलिंगड़ा में एक दादरा और लता मंगेशकर से फिल्मी गीत सुनिए
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लता मंगेशकर |
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विदुषी कौशिकी चक्रवर्ती |
राग कलिंगड़ा
की रचना भैरव थाट से मानी गई है। इस राग में ऋषभ और धैवत स्वर कोमल लगते
हैं। वादी स्वर पंचम और संवादी स्वर षडज होता है। यह सम्पूर्ण-सम्पूर्ण
जाति का राग है, अर्थात इस राग के वादी और संवादी में सात-सात स्वर प्रयोग
होते हैं। इस राग के गायन-वादन का सर्वाधिक उपयुक्त समय रात्रि का अन्तिम
प्रहर अर्थात प्रातः 4 से 7 बजे के बीच माना जाता है। कुछ विद्वान राग
कलिंगड़ा का वादी स्वर कोमल धैवत और संवादी स्वर गान्धार मानते हैं। इसमें
धैवत को वादी मानना उचित नहीं है, क्योंकि इस राग मेन धैवत स्वर पर बिल्कुल
न्यास नहीं होता और पंचम स्वर की तुलना में इसका स्थान गौड़ है। इस राग में
पंचम स्वर प्रमुख है और इस पर अत्यधिक न्यास होता है, इसलिए पंचम स्वर को
वादी स्वर मानना अधिक उचित है। दूसरे, इसके समप्रकृति राग भैरव में धैवत
स्वर को ही वादी स्वर माना गया है। अतः वरिष्ठ संगीतज्ञों के मतानुसार राग
कलिंगड़ा पंचम को वादी और षडज को संवादी स्वर माना जाना चाहिए। यह चंचल
प्रकृति का राग है। इसमें बड़ा खयाल और मसीतखानी गतें कम सुनाई देती हैं।
राग भैरव की तुलना में राग कलिंगड़ा कम लोकप्रिय है। यह प्रातःकालीन
सन्धिप्रकाश राग है। इसका कारण यह है कि कि इसमें ऋषभ और धैवत स्वर कोमल
होने के साथ ही शुद्ध गान्धार और शुद्ध मध्यम स्वर प्रयोग किए जाते हैं।
आइए, विदुषी कौशिकी चक्रवर्ती के स्वर में इस राग में निबद्ध उस्ताद दबीर खाँ रचित एक दादरा का
रसास्वादन करें। इस वीडियो में दादरा से पहले सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ पण्डित अजय
चक्रवर्ती से राग कलिंगड़ा की स्वर-संरचना का वर्णन किया है।
राग कलिंगड़ा : “तुम कहाँ से आए हो...” : दादरा : विदुषी कौशिकी चक्रवर्ती
राग
कलिंगड़ा में वादी-संवादी स्वरों के अतिरिक्त गान्धार स्वर खूब चमकता है।
इसीलिए यह राग भैरव से अलग दीखता है। राग कलिंगड़ा में वही स्वर प्रयोग किये
जाते हैं, जो राग भैरव में इस्तेमाल होते हैं। किन्तु दोनों का चलन अलग
होता है। दोनों रागों में उत्तरांग स्वर वादी है अर्थात सप्तक के दूसरे भाग
से वादी स्वर चुना गया है। दोनों रागों की प्रकृति में यह अन्तर है कि राग
कलिंगड़ा की प्रकृति चंचल और राग भैरव की प्रकृति गम्भीर होती है। राग भैरव
में ऋषभ और धैवत स्वरों पर आन्दोलन होता है, किन्तु राग कलिंगड़ा में किसी
भी स्वर पर आन्दोलन नहीं होता। कुछ गायक राग की रंजकता बढ़ाने के लिए
कभी-कभी भैरव के अवरोह में कोमल निषाद लगा देते हैं, किन्तु राग कलिंगड़ा
में ऐसा कभी नहीं होता। राग भैरव में कोमल निषाद लगाने पर राग रामकली की
छाया आने की बहुत सम्भावना रहती है, इसीलिए इसे नहीं प्रयोग किया जाना उचित
है। राग कलिंगड़ा में गान्धार पर न्यास होता है, किन्तु राग भैरव में इस
स्वर पर न्यास नहीं होता। राग भैरव अपने थाट का आश्रय राग है, जबकि राग
कलिंगड़ा थाट का जन्य राग है। राग कलिंगड़ा में मींड़ का काम लगभग नहीं होता,
जबकि राग भैरव में यह कार्य प्रचुरता से किया जाता है, क्योंकि राग कलिंगड़ा
चंचल प्रकृति राग है और भैरव गम्भीर प्रकृति का राग है। इसके अलावा राग
कलिंगड़ा का विस्तार केवल मध्य और तार सप्तकों में किया जाता है, जबकि राग
भैरव का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जाता है। राग कलिंगड़ा की अनुभूति
कराने के लिए अब हम आपको एक फिल्मी गीत सुनवाते हैं। फिल्मी गीतों में
राग-तत्व पर शोधकर्ता के.एल. पाण्डेय के अनुसार इस गीत में राग कलिंगड़ा की
छाया है, किन्तु कहीं-कहीं इसमें राग भैरव भी दिखाई देता है। गीत 1952 में
प्रदर्शित फिल्म “बैजू बावरा” से लिया गया है, जिसके बोल हैं – “मोहे भूल गए साँवरिया...”। गीत लता मंगेशकर के स्वर में है। इसे गीतकार शकील बदायूनी ने लिखा और नौशाद ने संगीतबद्ध किया है। गीत कहरवा ताल में निबद्ध है।
राग कलिंगड़ा : “मोहे भूल गए साँवरिया...” : लता मंगेशकर : फिल्म – बैजू बावरा
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 439वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1954 में प्रदर्शित एक
फिल्म के गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक
अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही
उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 440वें अंक
की पहेली का उत्तर प्राप्त होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे,
उन्हें वर्ष 2019 के चौथे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही
पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की
घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग की झलक है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायक का स्वर है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 26 अक्तूबर, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको
यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 441 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी”
के 437वें अंक की पहेली में हमने आपके लिए एक रागबद्ध गीत का एक अंश सुनवा
कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक प्राप्त करने के लिए कम से कम दो
प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा आपसे की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही
उत्तर है; राग – विभास (भैरव थाट), दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – सुरेश वाडकर।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी और अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
श्रृंखला “भैरव थाट के राग” की पाँचवीं कड़ी में आज आपने भैरव थाट के जन्य
राग कलिंगड़ा का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस शैली के शास्त्रीय स्वरूप को
समझने के लिए आपने सुविख्यात संगीतज्ञ पण्डित अजय चक्रवर्ती से राग के
स्वर को समझने और उनकी सुपुत्री विदुषी कौशिकी चक्रवर्ती के स्वर में इस
राग की एक दादरा रचना का रसास्वादन किया। राग कलिंगड़ा के आधार पर रचे गए
फिल्मी गीत के उदाहरण के लिए हमने आपके लिए सुप्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर
के स्वर में फिल्म “बैजू बावरा” का एक गीत प्रस्तुत किया। अगले अंक में हम
भैरव थाट के एक अन्य जन्य राग का परिचय प्रस्तुत करेंगे। कुछ तकनीकी समस्या
के कारण “स्वरगोष्ठी” की पिछली कुछ कड़ियाँ हम “फेसबुक” पर अपने कुछ मित्र
समूह पर साझा नहीं कर पा रहे थे। संगीत-प्रेमियों से अनुरोध है कि हमारी
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“स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया
हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो
तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका
कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
मंगलवार, 15 अक्तूबर 2019
ऑडियो कथा: पश्मीना (ज्योत्सना सिंह)
'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में उदय प्रकाश की कहानी नेलकटर का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं ज्योत्सना सिंह की लघुकथा "पश्मीना", जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।
कहानी का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 9 सेकण्ड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
लघुकथा पश्मीना का गद्य 'सेतु' द्वैभाषिक पत्रिका पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को स्वर देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।
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पश्मीना mp3
#Twenty Sixth Story: Pashmina; Author: Jyotsna Singh; Voice: Anurag Sharma; Hindi Audio Book/2019/26.
कहानी का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 9 सेकण्ड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
लघुकथा पश्मीना का गद्य 'सेतु' द्वैभाषिक पत्रिका पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को स्वर देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।
ज्योत्सना सिंह: इंडिया वॉच चैनल, लखनऊ पुस्तक मेला, दिल्ली विश्व पुस्तक मेला, केकेसी डिग्री कॉलेज, आदि में काव्य पाठ। नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, अमर उजाला, जन ख़बर लाइव आदि दैनिक पेपर में रचनायें प्रकाशित। हर सप्ताह यहीं पर सुनिए एक नयी कहानी "उसकी कश्मीरी प्रिन्सिपल आसमानी साड़ी पर सफ़ेद शाल ओढ़े यूँ जान पड़ी थी जैसे नील गगन को किसी सफ़ेद बादल के टुकड़े ने ढक लिया हो।" (ज्योत्सना सिंह की "पश्मीना" से एक अंश) |
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पश्मीना mp3
#Twenty Sixth Story: Pashmina; Author: Jyotsna Singh; Voice: Anurag Sharma; Hindi Audio Book/2019/26.
रविवार, 13 अक्तूबर 2019
राग विभास : SWARGOSHTHI – 438 : RAG VIBHAS
स्वरगोष्ठी – 438 में आज
भैरव थाट के राग – 4 : राग विभास
पं. उल्हास कशालकर से राग विभास में खयाल और सुरेश वाडकर से फिल्मी गीत सुनिए
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पण्डित उल्हास कशालाकर |
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सुरेश वाडकर |
राग विभास
का सम्बन्ध भैरव थाट से माना जाता है। इसमें मध्यम और निषाद स्वर वर्जित
होता है। केवल पाँच स्वर होने से राग की जाति औड़व-औड़व होती है। ऋषभ और धैवत
स्वर कोमल इस्तेमाल होता है और शेष स्वर शुद्ध इस्तेमाल किया जाता है। राग
का वादी स्वर धैवत और संवादी स्वर ऋषभ होता है। राग विभास का गायन-वादन
दिन के पहले प्रहर में सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है। यह राग उत्तरांग
प्रधान है, अतः इसका चलन मध्य सप्तक के उत्तर अंग और तार सप्तक के पूर्व
अंग में अधिक होता है। राग विभास के तीन प्रकार होते हैं। भैरव थाट के
अलावा अन्य दो प्रकार पूर्वी और मारवा थाट जन्य राग होते है। तीनों विभास
राग एक दूसरे से अलग होते हैं। परन्तु भैरव थाट जन्य राग विभास का प्रचलन
अधिक है। इस राग की प्रकृति शान्त और गम्भीर होती है। इसमें धैवत स्वर पर
सावकाश आन्दोलन किया जाता है। राग विभास में ऋषभ स्वर कोमल और गान्धार स्वर
शुद्ध होता है, अतः यह प्रातःकालीन सन्धिप्रकाश राग माना जाता है। पूर्वी
थाट जन्य राग रेवा में राग विभास के ही स्वरे लगते हैं। अन्तर यह है कि राग
रेवा पूर्वांग प्रधान राग है और इसका गायन-वादन समय सायंकाल सन्धिप्रकाश
का है, जबकि विभास भैरव थाट जन्य उत्तरांग प्रधान प्रातःकालीन सन्धिप्रकाश
काल में गाया-बजाया जाने वाला राग है। राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के
लिए अब हम आपको सुविख्यात संगीतज्ञ पण्डित उल्हास कशालकर के स्वर में आपको
राग विभास, तीनताल में निबद्ध एक खयाल रचना सुनवा रहे हैं। खयाल के बोल
हैं – “कहे कुम्हरवा जायल हमरा...”।
राग विभास : “कहे कुम्हरवा जायल हमरा...” : पण्डित उल्हास कशालकर
आज
का राग है, विभास। इस राग पर आधारित 1985 में प्रदर्शित फिल्म “उत्सव” का
एक गीत हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। इस फिल्म के संगीतकार
लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल थे। इसी वर्ष लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल के ही संगीत
निर्देशन में बनी एक और फिल्म, “सुर संगम” के राग आधारित गीत हम
“स्वरगोष्ठी” के पिछले कुछ अंकों में प्रस्तुत कर चुके हैं। लक्ष्मीकान्त
प्यारेलाल उन बिरले संगीतकारों में थे, जिनकी पहली फिल्म “पारसमणि” का
संगीत लोकप्रियता की कसौटी पर खरा उतरा। उनकी लोकप्रियता का आधार राग
आधारित अथवा लोकसंगीत आधारित रचनाओं की धुनें हैं। उनके संगीत में तालों का
अनूठा प्रयोग परिलक्षित होता है। फिल्म “उत्सव” एक संस्कृत नाटक के आधार
पर प्राचीन पाटलीपुत्र के परिवेश में बनी फिल्म है। इसके सभी गीत रागों का
आधार लिये हुए है। फिल्म में राग विभास पर आधारित दो गीत हैं, -“साँझ ढले गगन तले...” और –“नीलम के नभ...”। आज के अंक में हमने पार्श्वगायक सुरेश वाडकर के स्वर में गाया गया गीत –“साँझ ढले गगन तले...”
का चयन हमने आपके लिए किया है। वसन्त देव की गीत रचना को लक्ष्मीकान्त
प्यारेलाल ने राग विभास के स्वरों में निबद्ध किया है। आप यह रचना सुनिए और
मुझे “स्वरगोष्ठी” के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग विभास : “साँझ ढले गगन तले...” : सुरेश वाडकर : फिल्म – उत्सव
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 438वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1952 में प्रदर्शित एक
फिल्म के गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक
अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही
उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 440वें अंक
की पहेली का उत्तर प्राप्त होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे,
उन्हें वर्ष 2019 के चौथे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही
पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की
घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग की छाया है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायिका का स्वर है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 19 अक्तूबर, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको
यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 440 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी”
के 436वें अंक की पहेली में हमने आपके लिए एक रागबद्ध गीत का एक अंश सुनवा
कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक प्राप्त करने के लिए कम से कम दो
प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा आपसे की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही
उत्तर है; राग – जोगिया, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा और दादरा तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – कमल बारोट और महेन्द्र कपूर।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
श्रृंखला “भैरव थाट के राग” की चौथी कड़ी में आज आपने भैरव थाट के जन्य राग
विभास का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस शैली के शास्त्रीय स्वरूप को
समझने के लिए आपने सुविख्यात संगीतज्ञ पण्डित उल्हास कशालकर के स्वर में इस
राग की एक खयाल रचना का रसास्वादन किया। राग विभास के आधार पर रचे गए
फिल्मी गीत के उदाहरण के लिए हमने आपके लिए सुप्रसिद्ध गायक सुरेश वाडकर के
स्वर में फिल्म “उत्सव” का एक गीत प्रस्तुत किया। अगले अंक में हम भैरव
थाट के एक अन्य जन्य राग का परिचय प्रस्तुत करेंगे। कुछ तकनीकी समस्या के
कारण “स्वरगोष्ठी” की पिछली कुछ कड़ियाँ हम “फेसबुक” पर अपने कुछ मित्र समूह
पर साझा नहीं कर पा रहे थे। संगीत-प्रेमियों से अनुरोध है कि हमारी
वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com
पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें।
“स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया
हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो
तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका
कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग विभास : SWARGOSHTHI – 438 : RAG VIBHAS : 13 अक्तूबर, 2019
मंगलवार, 8 अक्तूबर 2019
नेलकटर (उदय प्रकाश)
लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने शीतल माहेश्वरी के स्वर में असग़र वजाहत की 'ड्रेन में रहने वाली लड़कियाँ' का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं, उदय प्रकाश की मर्मस्पर्शी कथा नेलकटर, जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।
इस कहानी नेलकटर का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 7 सेकंड है। इसका गद्य हिन्दी समय पर उपलब्ध हैं। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।
गांधी जी
कहते थे -
'अहिंसा'
और डंडा लेकर
पैदल घूमते थे।
(उदय प्रकाश)
हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी
"माँ को बोलने में दर्द बहुत होता होगा। इसलिए कम ही बोलती थीं।।”
(उदय प्रकाश की कथा "नेलकटर" से एक अंश)
नीचे के प्लेयर से सुनें.
(प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)
यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाउनलोड कर लें:
नेलकटर MP3
#Twenty Fifth Story, Nail Cutter; Uday Prakash; Hindi Audio Book/2019/25. Voice: Anurag Sharma
इस कहानी नेलकटर का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 7 सेकंड है। इसका गद्य हिन्दी समय पर उपलब्ध हैं। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।
गांधी जी
कहते थे -
'अहिंसा'
और डंडा लेकर
पैदल घूमते थे।
(उदय प्रकाश)
हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी
"माँ को बोलने में दर्द बहुत होता होगा। इसलिए कम ही बोलती थीं।।”
(उदय प्रकाश की कथा "नेलकटर" से एक अंश)
नीचे के प्लेयर से सुनें.
(प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)
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नेलकटर MP3
#Twenty Fifth Story, Nail Cutter; Uday Prakash; Hindi Audio Book/2019/25. Voice: Anurag Sharma
रविवार, 6 अक्तूबर 2019
राग जोगिया : SWARGOSHTHI – 437 : RAG JOGIYA
स्वरगोष्ठी – 437 में आज
भैरव थाट के राग – 3 : राग जोगिया
पण्डित राजन-साजन मिश्र से राग जोगिया में खयाल तथा कमल बारोट और महेन्द्र कपूर से फिल्मी गीत सुनिए
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पण्डित राजन और साजन मिश्र |
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कमल बारोट |
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महेन्द्र कपूर |
‘भैरव’ थाट
के अन्तर्गत आने वाले अन्य प्रमुख राग होते हैं- अहीर भैरव, गौरी, नट
भैरव, वैरागी, रामकली, गुणकली, कलिंगड़ा, जोगिया, विभास आदि। आज के अंक में
हम राग जोगिया पर चर्चा कर रहे हैं। राग जोगिया, भैरव थाट का जन्य राग माना
जाता है। इसके आरोह में गान्धार तथा निषाद स्वर वर्जित तथा अवरोह में
गान्धार स्वर वर्जित किया जाता है। अतः इस राग की जाति औड़व-षाड़व होती है।
राग का वादी स्वर मध्यम और संवादी स्वर षडज होता है। राग जोगिया का गायन
समय प्रातःकाल सन्धिप्रकाश के सय सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है। कुछ
विद्वान राग जोगिया में तार षडज को वादी और मध्यम को संवादी मानते हैं।
किन्तु दोनों दृष्टियों में यह उत्तरांग प्रधान राग है। राग जिया में बहुधा
बड़ा खयाल नहीं गाया जाता। यह छोटा खयाल और ठुमरी के उपयुक्त राग माना जाता
है। कभी-कभी राग के आकर्षण को बढ़ाने के लिए अवरोह में कोमल निषाद का अल्प
प्रयोग कर लिया जाता है। राग के शास्त्रीय स्वरूप के दिग्दर्शन के लिए अब
हम आपको इस राग में एक खयाल रचना सुनवा रहे हैं। इसे प्रस्तुत कर रहे है,
बनारस घराने के सुविख्यात युगल गायक पण्डित राजन और साजन मिश्र।
राग जोगिया : “मोरे अँगना कागा बोले...” : पण्डित राजन और साजन मिश्र
आज
हम भैरव थाट के जन्य राग जोगिया पर आधारित एक फिल्मी गीत भी सुनवा रहे
हैं। राग जोगिया औड़व-षाड़व जाति का राग है, अर्थात इसके आरोह में पाँच और
अवरोह में छः स्वर प्रयोग किये जाते हैं। आरोह में गान्धार और निषाद तथा
अवरोह में गान्धार स्वर वर्जित होता है। राग में कोमल ऋषभ और कोमल धैवत का
प्रयोग किया जाता है। अन्य सभी शुद्ध स्वर प्रयोग होते हैं। आरोह के स्वर
हैं- सा, रे(कोमल), म, प, ध(कोमल), सां और अवरोह के स्वर हैं- सां, नि,
ध(कोमल), प, ध(कोमल), म, रे(कोमल), सा। इस राग का वादी स्वर मध्यम और
संवादी स्वर षडज होता है। इस राग के गायन-वादन का समय प्रातःकाल होता है।
राग जोगिया के स्वरों का सार्थक प्रयोग 1962 में प्रदर्शित फिल्म ‘संगीत
सम्राट तानसेन’ के एक गीत में संगीतकार एस.एन. त्रिपाठी ने किया था। गीत का
फिल्मी संस्करण गीतकार शैलेन्द्र ने रचा है। यह गीत वास्तव में शिव-वन्दना
है। अनेक विद्वानों का मत है कि इसकी गीत और संगीत रचना स्वयं तानसेन ने
की थी। फिल्म में यह गीत कमल बारोट और महेन्द्र कपूर की आवाज़ में है। आप यह
गीत सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग जोगिया : “हे नटराज गंगाधर शम्भो भोलेनाथ...” : कमल बारोट और महेन्द्र कपूर
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 437वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1985 में प्रदर्शित एक
फिल्म के गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक
अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही
उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 440वें अंक
की पहेली का उत्तर प्राप्त होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे,
उन्हें वर्ष 2019 के चौथे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही
पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की
घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का आधार है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायक का स्वर है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 12 अक्तूबर, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको
यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 439 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी”
के 435वें अंक की पहेली में हमने आपके लिए एक रागबद्ध गीत का एक अंश सुनवा
कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक प्राप्त करने के लिए कम से कम दो
प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा आपसे की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही
उत्तर है; राग – अहीर भैरव, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – अद्धा तीनताल तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – मन्ना डे।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, खण्डवा, मध्यप्रदेश से रविचन्द्र जोशी, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
श्रृंखला “भैरव थाट के राग” की तीसरी कड़ी में आज आपने भैरव थाट के जन्य
राग जोगिया का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस शैली के शास्त्रीय स्वरूप को
समझने के लिए आपने सुविख्यात संगीतज्ञ पण्डित राजन और साजन मिश्र के युगल
स्वर में इस राग की एक रचना का रसास्वादन किया। राग जोगिया के आधार पर रचे
गए फिल्मी गीत के उदाहरण के लिए हमने आपके लिए सुप्रसिद्ध युगल गायक और
गायिका कमल बारोट और महेन्द्र कपूर के स्वर में फिल्म “संगीत सम्राट
तानसेन” का एक गीत प्रस्तुत किया। अगले अंक में हम भैरव थाट के एक अन्य
जन्य राग का परिचय प्रस्तुत करेंगे। कुछ तकनीकी समस्या के कारण
“स्वरगोष्ठी” की पिछली कुछ कड़ियाँ हम “फेसबुक” पर अपने कुछ मित्र समूह पर
साझा नहीं कर पा रहे थे। संगीत-प्रेमियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com
पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें।
“स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया
हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो
तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका
कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग जोगिया : SWARGOSHTHI – 437 : RAG JOGIYA : 6 अक्तूबर, 2019
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