ताज़ा सुर ताल ३५/२०१० सुजॊय - सभी दोस्तों को हमारा नमस्कार! दोस्तों, आज हम एक ऐसी फ़िल्म के गीतों की चर्चा करने जा रहे हैं जो पैरलेल सिनेमा की श्रेणी में आता है। कुछ फ़िल्में ऐसी होती हैं जो व्यावसायिक लाभों से परे होती हैं, जिनका उद्देश्य होता है क्रीएटिव सैटिस्फ़ैक्शन। ये फ़िल्में भले ही सिनेमाघरों में ज़्यादा देखने को ना मिले, लेकिन अच्छे फ़िल्मों के दर्शक इन्हें अपने दिलों में जगह देते हैं और एक लम्बे समय तक इन्हें याद रखते हैं। विश्व दीपक - लेकिन यह अफ़सोस की भी बात है कि आज फ़िल्मों का हिट होना उसकी मारकेटिंग पर बहुत ज़्यादा निर्भर हो गया है। पैसे वाले प्रोड्युसर हर टीवी चैनल पर अपनी नई फ़िल्म का प्रोमो बार बार लगातार दिखा दिखा कर लोगों के दिमाग़ पर उसे बिठा देते हैं और एक समय के बाद लोगों को भी लगने लगता है कि वह हिट है। गीतों को भी इसी तरह से आजकल हिट करार दिया जाता है। लेकिन जिन प्रोड्युसरों के पास पैसे कम है, वो इस तरह के प्रोमोशन नहीं कर पाते, जिस वजह से उनकी फ़िल्म सही तरीक़े से लोगों तक नहीं पहुँच पाती। जब लोगों को मालूम ही नहीं चल पाता कि ऐसी भी कोई फ़िल्म बनी है, तो उन...