ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ११ आ ज 'ओल्ड इज़ गोल्ड रिवाइवल' के तहत पेश है फ़िल्म 'दो रास्ते' का वही सदाबहार गीत "ये रेशमी ज़ुल्फ़ें, ये शरबती आँखें" । सन् २००५ में विविध भारती ने रफ़ी साहब की पुण्यतिथि पर कई विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया था। और इसी के तहत संगीतकार प्यारेलाल जी को आमंत्रित किया गया था रफ़ी साहब को श्रद्धांजली अर्पित करते हुए फ़ौजी भाइयों की सेवा में 'विशेष जयमाला' कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए। इस कार्यक्रम में प्यारेलाल जी ने रफ़ी साहब के गाये उनके कुछ पसंदीदा गानें तो सुनवाये ही थे, उनके साथ साथ रफ़ी साहब से जुड़ी कुछ बातें भी कहे थे। और सब से ख़ास बात यह कि फ़िल्म 'दो रास्ते' का प्रस्तुत गीत भी उनकी पसंद के गीतों में शामिल था। प्यारेलाल जी ने कहा था - "आज आप से रफ़ी साहब के बारे में बातें करते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है। रफ़ी साहब का नेचर ऐसा था कि उन्होने सब को हेल्प किया, चाहे कोई भी जात का हो, या म्युज़िशियन हो, या कोई भी हो, सब को समान समझते थे। इससे मुझे याद आ रहा है फ़िल्म 'दोस्ती' का वह गाना "मेरा