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गीत अतीत 10 || हर गीत की एक कहानी होती है || आ गया हीरो || आ गया हीरो || आर्घ्या बैनर्जी

Geet Ateet 10 Har Geet Kii Ek Kahaani Hoti Hai... Aa Gaya Hero Aa Gaya Hero Arghya Banerjee - Composer & Singer गोविंदा की ताज़ातरीन फिल्म "आ गया हीरो" के शीर्षक गीत की चर्चा आज गीत अतीत में, अराफात महमूद के लिखे और अर्घ्य बैनर्जी के गाये इस गीत के संगीतकार भी खुद अर्घ्य ही हैं, सुनिए अर्घ्य बैनर्जी से इस गीत से जुडी कुछ दिलचस्प बातें, प्ले पर क्लिक करें और आनंद लें..... डाउनलोड कर के सुनें  यहाँ  से.... सुनिए इन गीतों की कहानियां भी - ओ रे रंगरेज़ा (जॉली एल एल बी) मैनरलैस मजनूं (रंनिंग शादी डॉट कॉम) रंग (अरविन्द तिवारी, गैर फ़िल्मी सिंगल) हमसफ़र (बदरी की दुल्हनिया) सनशाईन (गैर फ़िल्मी सिंगल) हौले हौले (गैर फ़िल्मी सिंगल) कागज़ सी है ज़िन्दगी  बेखुद  इतना तुम्हें  

एक दिल से दोस्ती थी ये हुज़ूर भी कमीने...विशाल भारद्वाज का इकरारनामा

ताजा सुर ताल (12) आ त्मावलोकन यानी खुद के रूबरू होकर बीती जिंदगी का हिसाब किताब करना, हम सभी करते हैं ये कभी न कभी अपने जीवन में और जब हमारे फ़िल्मी किरदार भी किसी ऐसी अवस्था से दोचार होते हैं तो उनके ज़ज्बात बयां करते कुछ गीत भी बने हैं हमारी फिल्मों में, अक्सर नतीजा ये निकलता है कि कभी किस्मत को दगाबाज़ कहा जाता है तो कभी हालतों पर दोष मढ़ दिया जाता है कभी दूसरों को कटघरे में खडा किया जाता है तो कभी खुद को ही जिम्मेदार मान कर इमानदारी बरती जाती है. रेट्रोस्पेक्शन या कन्फेशन का ही एक ताजा उदाहरण है फिल्म "कमीने" का शीर्षक गीत. फर्क सिर्फ इतना है कि यहाँ जिंदगी को तो बा-इज्ज़त बरी कर दिया है और दोष सारा बेचारे दिल पर डाल दिया गया है, देखिये इन शब्दों को - क्या करें जिंदगी, इसको हम जो मिले, इसकी जाँ खा गए रात दिन के गिले.... रात दिन गिले.... मेरी आरजू कामिनी, मेरे ख्वाब भी कमीने, एक दिल से दोस्ती थी, ये हुज़ूर भी कमीने... शुरू में ये इजहार सुनकर लगता है कि नहीं ये हमारी दास्तान नहीं हो सकती, पर जैसे जैसे गीत आगे बढता है सच आइना लिए सामने आ खडा हो जाता है और कहीं न कहीं हम सब इ...