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२५ फरवरी - आज का गाना

गाना:  आना मेरी जान मेरी जान संडे के संडे चित्रपट: शहनाई संगीतकार: सी. रामचंद्र गीतकार: प्यारे लाल संतोषी गायक, गायिका: चितलकर, मीना कपूर चि: आना मेरी जान, मेरी जान, संडे के संडे आना मेरी जान, मेरी जान,  संडे के संडे चि: आई लव यू मी: भाग यहाँ से दूर चि: आई लव यू मी: भाग यहाँ से दूर चि: तुझे पैरिस दिखाऊँ, तुझे लन्दन घूमाऊँ तुझे ब्रैन्डी पिलाऊँ, व्हिस्की पिलाऊँ और खिलाऊँ खिलाऊँ मुर्गी के,  मुर्गी  के, अण्डे, अण्डे आना मेरी जान, मेरी जान,  संडे के संडे मी: मैं धरम करम की नारी तू नीच अधम व्यभिचारी मामा हैं गंगा पुजारी बाबा काशी के, काशी के, पण्डे, पण्डे चि: आना मेरी जान, मेरी जान,  संडे के संडे चि: आओ, हाथों में हाथ ले वॉक करें हम आओ, स्वीट  स्वीट  आपस में टाक करें हम मी: आरे हट! सैंय्या मेरा पहलवान है, मारे दण्ड हज़ार सैंय्या मेरा पहलवान है, मारे दण्ड हज़ार भाग जाओगे तुम बन्दर देगा जो ललकार मारे गिन गिन के, गिन गिन के, डण्डे, डण्डे चि: आना मेरी जान, मेरी जान,  संडे के संडे मी: ओ माई  साब, कम,  कम , कम तुम रोमियो, जूलियट हम ओ डिअर,

सन्डे के सन्डे....एक सदाबहार मस्ती से भरा गीत

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 59 फ़ि ल्म संगीत के जानकारों को पता होगा कि ऐसे ५ संगीतकार हैं जिन्हें फ़िल्म संगीत के क्रांतिकारी संगीतकार का ख़िताब दिया गया है। ये ५ संगीतकार हैं मास्टर ग़ुलाम हैदर, सी. रामचन्द्र, ओ. पी. नय्यर, आर. डी. बर्मन, और ए. आर. रहमान। इन्हें क्रांतिकारी संगीतकार इसलिए कहा गया है क्यूँकि इन्होंने अपने नये अंदाज़ से फ़िल्म संगीत की धारा को नई दिशा दी है। यानी कि इन्होंने फ़िल्म संगीत के चल रहे प्रवाह को ही मोड़ कर रख दिया था और अपने नये 'स्टाइल' को स्वीकारने पर दुनिया को मजबूर कर दिया। इनमें से जिस क्रांतिकारी की बात आज हम 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में कर रहे हैं वो हैं सी. रामचन्द्र। सी. रामचन्द्र ने फ़िल्म संगीत में पाश्चात्य संगीत की धारा को इस तरह से ले आए कि उसने फ़िल्मी गीतों के रूप रंग को एक निखार दी, और लोकप्रियता के माप-दंड पर भी खरी उतरी। और यह सिलसिला शुरू हुआ था सन १९४७ की फ़िल्म 'शहनाई' से। इस फ़िल्म में "आना मेरी जान मेरी जान सन्डे के सन्डे" एक 'ट्रेन्ड-सेटर' गीत साबीत हुआ। और यही मशहूर गीत आज आप सुन रहे हैं 'ओल्ड इज़