ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 261 "घ र से मस्जिद है बहुत दूर चलो युं कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए"। दोस्तों, किसी ने ठीक ही कहा है कि रोते हुए किसी बच्चे को हँसाने में और ख़ुदा की इबादत में कोई फ़र्क नहीं है। बच्चे इतने निष्पाप और मासूम होते हैं कि भगवान स्वयम् ही उनमें निवास करते हैं। बच्चों की इसी मासूमियत और भोलेपन में वह जादू होता है जो कठोर से कठोर इंसान का भी दिल पिघला दे। और यह कहते भी हैं कि वह व्यक्ति किसी का ख़ून भी कर सकता है जिसे बच्चे पसंद नहीं। तो दोस्तों, आज से 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर अगले १० दिनों तक आप सुनेंगे बच्चों की इन्ही मासूमीयत और नटखट शरारतों में लिपटे हुए १० सदाबहार गीत जिन्हे बाल कलाकारों पर फ़िल्माए गए हैं और हमारे लिए जितना संभव हो सका है हमने ऐसे गानें चुनने की कोशिश की है जिन्हे बाल गायक गायिकाओं ने ही गाए हैं, चाहे मुख्य रूप से हों या फिर कोरस में। तो दोस्तों, अब अगले १० दिनों के लिए आप भी हमारे संग बच्चे बन जाइए और खो जाइए अपने बचपन की उस सजीली, रंग बिरंगी, सपनों भरी दुनिया में। आपकी ख़िदमत में ये है लघु शृंखला 'बचपन के दिन भुल...