ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 172 ह मारा देश आज अपना ६३-वाँ स्वाधीनता दिवस मना रहा है। इस ख़ास पर्व पर हम सभी श्रोताओं व पाठकों का हार्दिक अभिनंदन करते हैं। आज ही के दिन सन् १९४७ में दिल्ली के लाल क़िले की प्राचीर पर नेहरु जी ने पहली बार स्वतंत्र भारत में तिरंगा लहराया था। जिस तरह से तिरंगे की तीन रंगों, गेरुआ, सफ़ेद और हरा, का अपना अपना अर्थ है, महत्व है, इन्ही तीन रंगों के महत्व को उजागर करते हुए आज से अगले तीन दिनों की 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की महफ़िल सजेगी। पहला रंग है गेरुआ, यानी कि वीरता का, या वीर रस का। इतिहास गवाह है हम भारतीयों की वीरता का। जब जब देश पर विपदा आन पड़ी है, इस देश के वीर जवानों ने तब तब अपनी जान की परवाह किए बग़ैर देश को हर संकट से उबारा है। फिर चाहे वह दुश्मनों का आक्रमण हो या कोई प्राकृतिक विपदा। ज़्यादा पीछे जाने की ज़रूरत नहीं, हाल ही में मुंबई आतंकी हमलों के दौरान हमारे जवानों ने जो वीरता दिखायी है कि हमारा सर श्रद्धा से उनके आगे झुक जाता है। तो दोस्तों, वीरता हमारे देश की परंपरा रही है, लेकिन वीर होने का अर्थ हमारा कदापि यह नहीं कि दूसरों पर हम वार करें। इतिह...