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क्या फिर लौटेगा "आशिकी" का दौर

वो १९७२ में मिले थे एक दूजे से। १९८१ में आई फ़िल्म "मैंने जीना सीख लिया" से इस संगीतकार जोड़ी ने कदम रखा फ़िल्म जगत में। "हिसाब खून का", "लश्कर", और "इलाका" जैसी फिल्मों में इनका काम किसी की भी नज़र में नहीं आया, फिर इन्हें मिला संगीत की दुनिया में नई मिसाल बनाने की योजनायें लेकर दिल्ली से मुंबई पहुंचे गुलशन कुमार का साथ। १९९० में आई महेश भट्ट निर्देशित फ़िल्म "आशिकी" ने संगीत की दुनिया को हिला कर रख दिया, और उभर कर आए - नदीम-श्रवण। एक ऐसा दौर जब फ़िल्म संगीत अश्लील शब्दों और भौंडे संगीत की गर्त में जा रहा था, एक साथ कई नए कलकारों ने आकर जैसे संगीत का सुनहरा दौर वापस लौटा दिया। शुरूआत हुई आनंद मिलिंद के संगीत से सजी फ़िल्म "क़यामत से क़यामत तक" से और इसी के साथ वापसी हुई रोमांस के सुनहरे दौर की भी। फ़िल्म "आशिकी" भी इसी कड़ी का एक हिस्सा थी, कमाल की बात यह थी कि इस फ़िल्म के सभी गीत एक से बढ़कर एक थे और बेहद मशहूर हुए। इसके बाद नदीम-श्रवण ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक के बाद एक सुपर हिट संगीत से सजी फिल्में -दिल

रॉक ऑन के सितारे जुटे बाढ़ राहत कार्य में

आवाज़ ने संगीतप्रेमियों से इस फ़िल्म की सिफारिश की थी, और आज यह फ़िल्म साल की श्रेष्ट फिल्मों में एक मानी जा रही है. फ़िल्म के संगीत का नयापन युवाओं को बेहद भाया. फरहान अख्तर ने बतौर अभिनेता और गायक अपनी पहचान बनाई. बिहार में कोसी नदी में आई बाढ़ के पीडितों के लिए मुंबई में अभी हाल ही में इस फ़िल्म के सितारों और संगीत टीम के सदस्यों ने जबरदस्त शो किया और इस नेक काम के लिए धन अर्जित किया. "मेरी लौंड्री का एक बिल..." गीत जब ऋतिक रोशन थिरके तो दर्शक समूह झूम उठा. "रॉक ऑन" का संगीत वास्तव में रोक्किंग है. रविन्द्र जैन की वापसी लंबे समय के बाद सुप्रसिद्ध गीतकार संगीतकार रविन्द्र जैन फ़िल्म संगीत में वापसी कर रहे हैं. ७ नवम्बर को राजश्री प्रोडक्शन के साथ उनकी नई फ़िल्म "एक विवाह ऐसा भी" प्रर्दशित हो रही है. रविन्द्र जी ने राजश्री फ़िल्म्स के साथ लगभग १७ फिल्मों में काम किया है. "अबोध" की असफलता के लगभग २० वर्षों के बाद फ़िल्म "विवाह" से रविन्द्र जी ने बड़जात्या परिवार के साथ अपनी वापसी की थी. अब "एक विवाह ऐसा भी" से भी इसी तरह