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सुधा ओम ढींगरा की कहानी लड़की थी वह

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवा रहे हैं हिन्दी की रोचक कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी की आवाज़ में मुंशी प्रेमचंद की कहानी " खून सफ़ेद " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं सुधा ओम ढींगरा की कहानी "लड़की थी वह" जिसे स्वर दिया है शेफाली गुप्ता ने। कहानी "लड़की थी वह" का गद्य रचना समय ब्लॉग पर उपलब्ध है। इस कहानी का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 19 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यहां तो बच्चे तीन-चार भाषाएं सीखते हैं, पर बोलते अपनी मातृभाषा हैं। इसके लिए मां-बाप को कोशिश करने की बहुत जरूरत है। हिंदी को लेकर कुंठित मत हों। ~ सुधा ओम ढींगरा हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी लगता है यम उन्हें लेने आयें हैं और कुत्तों ने यम को देख लिया है ( सुधा ओम ढींगरा की कहानी "लड़की थी वह" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लि

कहानी पॉडकास्ट - बिखरते रिश्ते - सुधा ओम ढींगरा - शेफाली गुप्ता

'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी की आवाज़ में प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिशंकर परसाई की कथा " चौबे जी " का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं सुधा ओम ढींगरा द्वारा लिखित हृदयस्पर्शी कहानी " बिखरते रिश्ते ", जिसको स्वर दिया है शेफाली गुप्ता ने। बिखरते रिश्ते का पाठ्य रचनाकार ब्लॉग पर उपलब्ध है। इस कहानी का कुल प्रसारण समय 19 मिनट 38 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। यहाँ तो बच्चे तीन-चार भाषाएँ सीखते हैं, पर बोलते अपनी मातृभाषा हैं। इसके लिए माँ-बाप को कोशिश करने की बहुत जरूरत है। हिंदी को लेकर कुंठित न हों। ~ सुधा ओम ढींगरा सुधा ओम ढींगरा अमेरिका में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए जुटीं हैं। वे नार्थ कैरोलाईना

स्वप्न साकार होते हैं...... चाँद शुक्ला हदियाबादी

हम अपने आवाज़ के दुनिया के दोस्तों को समय-समय में भाषा-साहित्य, कला-संस्कृति जगत के कर्मवीरों से मिलवाते रहते हैं। और जब भी बात इंटरनेट पर इस दिशा में हो रहे सकारात्मक प्रयासों की होती है तो वेबमंच रेडियो सबरंग डॉट कॉम के संस्थापक चाँद शुक्ला हमारी आँखों के सामने आ जाते हैं। आज इन्हीं से रूबर होते हैं सुधा ओम ढींगरा की इनसे हुई एक गुफ्तगु के माध्यम से- हदियाबाद, फगवाड़ा, पंजाब में एक बालक विविध भारती सुनता हुआ अक्सर कल्पना की दुनिया में पहुँच जाता और आकाशवाणी के संसार में खो जाता। उसे लगता कि उसकी आवाज़ भी रेडियो से आ रही है और जनता सुन रही है। इस स्वप्न का आनन्द लेते हुए वह किशोरावस्था से युवावस्था में पहुँच गया। कई बार उसे महसूस होता कि स्वप्न सच कहाँ होते हैं। पर फिर कहीं से एक आशा की किरण कौंध जाती, सपने साकार होते हैं। पढ़ाई पूरी कर, संघर्ष और चुनौतियों का सामना करते हुए वह युवक अमेरिका, जर्मन घूमते हुए डेनमार्क आ गया। उस समय पूरे यूरोप ने कम्युनिटी रेडियो की स्वीकृति दे दी थी। डेनमार्क पहला ऐसा देश है, जहाँ 1983 में कम्युनिटी रेडियोज़ की स्थापना हुई। कोई भी लाईसैंस ले कर रेडियो प