मुकेश, राज कपूर के लिए पहले भी अपनी आवाज़ दे चुके थे, परन्तु फिल्म ‘अन्दाज़’ में नौशाद का प्रयोग- दिलीप कुमार के लिए मुकेश के आवाज़, की असफलता के बाद वह स्थायी रूप राज कपूर की आवाज़ बन गए। इस फिल्म में नौशाद ने राज कपूर और नरगिस के लिए एकमात्र गीत- ‘यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं खफा होते हैं...’ रिकार्ड किया था। दुर्भाग्य से राज कपूर के हिस्से का यह एकमात्र गीत असफल रहा, जबकि दिलीप कुमार के लिए मुकेश द्वारा गाये सभी गीत हिट हुए।
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 805/2011/245
राज कपूर के प्रारम्भिक संगीतकार विषयक श्रृंखला ‘आधी हक़ीक़त आधा फसाना’ की पाँचवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार फिर आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम यह उल्लेख कर चुके हैं कि राज कपूर ने अपनी पहली फिल्म ‘आग’ के लिए ‘पृथ्वी थियेटर’ के संगीतकार राम गांगुली को चुना था। बाद में जब उन्होने फिल्म ‘बरसात’ के निर्माण की योजना बनाई तो राम गांगुली के स्थान पर उन्हीं के संगीत दल के तबला वादक शंकर और हारमोनियम वादक जयकिशन को संगीत निर्देशक के रूप में चुना। ‘बरसात’ से लेकर ‘मेरा नाम जोकर’ तक यह साथ निरन्तर जारी रहा, केवल फिल्म ‘जागते रहो’ और 'अब दिल्ली दूर नहीं' को छोड़ कर, जिनका संगीत निर्देशन क्रमशः सलिल चौधरी और दत्ताराम ने किया था। अपनी फिल्मों के स्थायी संगीतकारों के साथ-साथ राज कपूर ने आरम्भिक दौर के लगभग सभी संगीतकारों के साथ कार्य किया था। इन फिल्मों के निर्माता या निर्देशक राज कपूर नहीं थे, बल्कि दूसरे निर्माता-निर्देशकों की फिल्मों में उन्होने मात्र अभिनय किया था। ऐसी फिल्मों में उन्होने अभिनय के साथ-साथ फिल्म के संगीत पर भी अपना प्रभाव छोड़ा अथवा राज कपूर स्वयं उस संगीतकार से प्रभावित हुए। ऐसे ही एक संगीतकार थे नौशाद, जिनके संगीत निर्देशन में राज कपूर ने १९५० की फिल्म ‘दास्तान’ में अभिनय किया था।
राज कपूर ने अपने फिल्मी जीवन के पहले दशक में दो ऐसी फिल्मों में अभिनय किया था, जिसके संगीतकार नौशाद थे। १९४९ की फिल्म ‘अन्दाज़’ और १९५० की फिल्म ‘दास्तान’ में राज कपूर मात्र अभिनेता थे, किन्तु उनकी पूरी दृष्टि नौशाद के संगीत पर टिकी हुई थी। फिल्म ‘अन्दाज़’ में राज कपूर के साथ दिलीप कुमार और नरगिस को लिया गया था। नौशाद ने इस फिल्म के गीतों में एक प्रयोग किया था। उन्होने दिलीप कुमार के लिए मुकेश की, नरगिस के लिए लता मंगेशकर की और राज कपूर के लिए मोहम्मद रफी की आवाज़ में गीतों को रिकार्ड किया। लता मंगेशकर के गाये गीत- ‘उठाए जा उनके सितम...’ की रिकार्डिंग के अवसर पर राज कपूर उपस्थित थे। गीत सुन कर उन्होने लता जी को अपनी फिल्मों के लिए स्थायी गायिका बना लिया। मुकेश, राज कपूर के लिए पहले भी अपनी आवाज़ दे चुके थे, परन्तु फिल्म ‘अन्दाज़’ में नौशाद का प्रयोग- दिलीप कुमार के लिए मुकेश के आवाज़, की असफलता के बाद वह स्थायी रूप राज कपूर की आवाज़ बन गए। इस फिल्म में नौशाद ने राज कपूर और नरगिस के लिए एकमात्र गीत- ‘यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं खफा होते हैं...’ रिकार्ड किया था। दुर्भाग्य से राज कपूर के हिस्से का यह एकमात्र गीत असफल रहा, जबकि दिलीप कुमार के लिए मुकेश द्वारा गाये सभी गीत हिट हुए।
नौशाद के संगीत निर्देशन में बनी फिल्म ‘दास्तान’ (१९५०) में एक बार फिर राज कपूर नायक थे। इस नायिका प्रधान फिल्म में सुरैया नायिका भी थीं और अपने गीतों की गायिका भी। इस समय तक संगीत निर्देशक के रूप में नौशाद का नाम प्रतिष्ठित और चर्चित हो चुका था कि फिल्म ‘दास्तान’ के पोस्टर और ट्रेलर में यह प्रचारित किया गया था- ‘चालीस करोड़ में एक ही नौशाद...’। फिल्म ‘दास्तान’ उस दौर में ‘सिल्वर जुबली’ मनाने में सफल हुई। इस फिल्म में सुरैया के गाये गीतों के अलावा राज कपूर और सुरैया पर फिल्माया गया गीत- ‘दिल को तेरी तस्वीर से बहलाए हुए है,…’ भी अत्यन्त लोकप्रिय हुआ था। नौशाद ने पूर्व की भाँति इस गीत में मोहम्मद रफी की ही आवाज़ राज कपूर के लिए ली। आइए, आज हम आपको राज कपूर द्वारा अभिनीत और नौशाद द्वारा संगीतबद्ध फिल्म ‘दास्तान’ का युगल गीत। गीतकार हैं शकील बदायूनी और स्वर मोहम्मद रफी तथा सुरैया के हैं।
क्या आप जानते हैंकि चौथे दशक के अन्तिम वर्षों में फिल्म जगत में पदार्पण करने वाले नौशाद को मात्र एक दशक में ही एक फिल्म में संगीत देने के लिए एक लाख रुपए मिलने लगे थे।
पहचानें अगला गीत - इस संगीतकार ने राज कपूर अभिनीत बस एक फिल्म में ही संगीत दिया है, कल का गीत इसी फिल्म से हेमंत और लाता के स्वरों में है
१. संगीतकार पहचानें इस युगल गीत के - २ अंक
२. गीतकार बताएं - ३ अंक
पिछले अंक में -इंदु जी आप अकेले ही काफी हैं महफ़िल सजाने के लिए...कृष्ण मोहन जी को एक बार जन्मदिन की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं
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कृष्णमोहन मिश्र
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें admin@radioplaybackindia.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें +91-9871123997 (सजीव सारथी) या +91-9878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
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