तालियों की गडगडाहट से गूँजता सभागार और सुरों को अपने तान में समेटती मेहदी हसन साहब की आवाज़. दोस्तों शायद अब ये समां कभी किसी संगीत प्रेमी को देखना नसीब नहीं हो सकेगा क्योंकि खुदा ने उन्हें हम सब से छीनकर अपने पास बुला लिया है ताकि जन्नतें भी उनकी महफिलों से रोशन हो सके. पर उनकी आवाज़ का बेशकीमती खज़ाना तो आज भी हमारे पास सुरक्षित है और ये जादू, कभी कम नहीं हो सकेगा इस बात को हर संगीत प्रेमी स्वीकार करेगा. दोस्तों सुनिए हमारा ये खास कार्यक्रम, जिसके माध्यम से हम श्रद्धान्जली दे रहे हैं शहंशाह-ए-ग़ज़ल मेहदी हसन साहब को, स्क्रिप्ट है विश्व दीपक की और स्वर है सजीव सारथी का. लगभग ढेढ घंटे के इस पोडकास्ट में आपको मिलेंगें मेहदी साहब के गायन के कई मुक्तलिफ़ अंदाज़. तो दोस्तों कुछ समय के लिए अपने रोजमर्रा के काम से मुक्त होकर डूब जाईये सुरों के इस अथाह समुन्दर में जिसका नाम है मेहदी हसन. आपकी सुविधा के लिए हम लिखित स्क्रिप्ट यहाँ संलग्न कर रहे हैं स्वर-साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने जिनके वो सबसे प्रिय गायक थे, उनके इन्तेकाल की खबर सुनकर कहा ...