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एक गीत सौ अफ़साने || एपिसोड 05 || मेरो गाँव काठा पारे

एक गीत सौ अफ़साने की पाँचवी कड़ी में आज चर्चा फिल्म "मंथन" के एकदम अनूठे गीत "मेरो गाँव काठा पारे" की  Ek Geet Sau Afsane explores the interesting unknown and unheard back stories of a Song. Every song has its own journey, and every new episode of this program is an attempt to understand the process behind making a song. with program head Sangya Tandon, her dedicated team of podcasters are here to tell these insightful stories that went behind in the process of making a song, enjoy. आप हमारे इस पॉडकास्ट को इन पॉडकास्ट साईटस पर भी सुन सकते हैं  Spotify Amazon music   Google Podcasts Apple Podcasts Gaana JioSaavn हम से जुड़ सकते हैं - facebook  instagram  YouTube  Hope you like this initiative, give us your feedback on radioplaybackdotin@gmail.com

खमाज थाट के राग : SWARGOSHTHI – 216 : KHAMAJ THAAT

स्वरगोष्ठी – 216 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 3 : खमाज थाट   ‘कोयलिया कूक सुनावे...’ और ‘तुम्हारे बिन जी ना लगे...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया था। वर्तमान समय मे...

सुनो कहानी: सुधा अरोड़ा की अन्नपूर्णा मंडल की आखिरी चिट्ठी

सुधा अरोड़ा की कहानी अन्नपूर्णा मंडल की आखिरी चिट्ठी 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने कविता वर्मा की आवाज़ में कन्नड साहियत्यकार रामचन्द्र भावे की कहानी ' वारिस ' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं सुधा अरोड़ा की कहानी " अन्नपूर्णा मंडल की आखिरी चिट्ठी ", जिसको स्वर दिया है प्रीति सागर ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 14 मिनट 24 सेकंड। इस कहानी का टेक्स्ट हिन्दीनेस्ट पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। आत्माएं कभी नहीं मरतीं। इस विराट व्योम में, शून्य में, वे तैरती रहती हैं - परम शान्त होकर। ~ सुधा अरोड़ा हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी कहीं मेरे पति घर में घुसते ही इन सब पर चप्पलों की चटाख-चटाख बौछार न कर दें या मेरी सास इन पर केतली का खौलता हुआ प...

माई हार्ट इस बीटिंग कीप्स् ऑन रीपिटिंग....भारतीय संवेदनाओं से सजा एक खूबसूरत अंग्रेजी गीत...

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 210 आ ज 'ओल्ड इज़ गोल्ड' का रंग ज़रा अलग है दोस्तों, क्योंकि आज हम आप के लिए लेकर आए हैं एक अंग्रेज़ी गीत। घबराइए नहीं दोस्तों, यह कोई विदेशी पॉप अल्बम का गीत नहीं है, बल्कि यह गीत है सन् १९७५ की फ़िल्म 'जूली' का "My heart is beating"| प्रीति सागर का गाया यह गीत हिंदी फ़िल्म संगीत का शयद एकमात्र ऐसा गीत है जो पूरा का पूरा अंग्रेज़ी भाषा में लिखा गया है। १८ मार्च को प्रदर्शित हुई इस फ़िल्म का निर्माण किया था बी. नागी रेड्डी ने और निर्देशक थे के. एस. सेतूमाधवन। लक्ष्मी और विक्रम थे हीरो हीरोइन, लेकिन वरिष्ठ अभिनेत्री नादिरा ने इस फ़िल्म में नायिका की माँ के किरदार में एक बेहद सशक्त भूमिका अदा की थी जिसके लिए उन्हे फ़िल्म-फ़ेयर के सर्वशेष्ठ सह-अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यहाँ यह बताना ज़रूरी है कि सन् १९५५ की फ़िल्म 'देवदास' के लिए जब वैजयंतीमाला ने फ़िल्म-फ़ेयर के सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का पुरस्कार यह कह कर लेने से इंकार कर दिया था कि वो उस फ़िल्म में सह अभिनेत्री नहीं बल्कि मुख्य अभिनेत्री हैं, तब इस पुरस्का...