आज की महफ़िल में अपरोक्ष गुनगुनाते शिवम् मिश्रा जी हैं. इन ५ गानों की सौगात लेने शिवम् जी के पास पहुंची तो पहले एक सवाल का तीर चला, "ये क्यूँ ?" मैंने भी शरारत से कहा - "क्यूँ बताऊँ !" दीदी कहते हैं तो मुस्कान में मायूसी के भाव लाते हुए बोले, "अपनी पसंद को ५ सिर्फ ५ गाने कैसे बताऊँ ???" बताना था ही हर हाल में तो थमा दी लिस्ट ये कहते हुए कि इनको सुनना मेरा सुकून है, बस - तो इनके सुकून के लिए सुनते हैं इनके साथ हम भी इनकी पसंद ... तू मेरे रूबरू है - फिल्म मकबूल ; संगीत - विशाल ; गायक - दलेर महेंदी, राम शंकर और साथी छोड़ आये हम वो गलियां - फिल्म माचिस ; संगीत - विशाल ; गायक - सुरेश वाडेकर , के के, हरीहरण और साथी साँसों की माला पर सिमरु मैं पी का नाम - सूफी ; गायक - उस्ताद नुसरत फ़तेह अली खान और साथी उम्र जलवो में बसर हो यह जरुरी तो नहीं - ग़ज़ल ; गायक :- जगजीत सिंह साहब न ले के जाओ ... मेरे दोस्त का जनाजा है - फिल्म - फिजा ; संगीत :- अनु मालिक ; गायिका - जसपिंदर नरूला