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"अमृता - इमरोज़"- रंजना भाटिया की नज़र में

पॉडकास्ट पुस्तक समीक्षा (अंक २) अमृता इमरोज लेखिका – उमा त्रिलोक मूल्य – 120 प्रकाशक – पेंगुइन बुक्स इंडिया प्रा. लि. भारत आईएसबीएन नं. – 0-14-309993-0 उमा त्रिलोक की किताब को पढ़ना मुझे सिर्फ़ इस लिए अच्छा नही लगा कि यह मेरी सबसे मनपसंद और रुह में बसने वाली अमृता के बारे में लिखी हुई है ..बल्कि या मेरे इस लिए भी ख़ास है कि इसको इमरोज़ ने ख़ुद अपने हाथो से हस्ताक्षर करके मुझे दिया है ...उमा जी ने इस किताब में उन पलों को तो जीवंत किया ही है जो इमरोज़ और अमृता की जिंदगी से जुड़े हुए बहुत ख़ास लम्हे हैं साथ ही साथ उन्होंने इस में उन पलों को समेट लिया है जो अमृता जी की जीवन के आखरी लम्हे थे. और उन्होंने हर पल उस रूहानी मोहब्बत के जज्बे को अपनी कलम में समेट लिया है फ़िर सुबह सवेरे हम कागज के फटे हुए टुकडों की तरह मिले मैंने अपने हाथ में उसका हाथ लिया उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और फ़िर हम दोनों एक सेंसर की तरह हँसे और फ़िर कागज को एक ठंडी मेज पर रख कर उस सारी नज़्म पर लकीर फेर दी ! मैंने इस किताब को पढ़ते हुए इसके हर लफ्जे को रुह से महसूस किया एक तो मैं उनके घर हो कर आई थी यदि कोई न भी गया...