'ये दिल और उनकी निगाहों के साये मुझे घेर लेती हैं बाँहों के साये' जयदेव के संगीतबद्ध गीत हमेशा अपने गिरफ्त में ले लेते हैं । और गिरफ्त भी इतनी कोमल जिसके कर्ण स्पर्श से ही रोम -रोम आनंदित हो उठे तो कौन भला इनसे अलग होना चाहेगा ।जयदेव ने ऐसे गीतों की रचना की जो मेलोडी से सराबोर होते हुए भी शास्त्रीय प्रधान रहे ।वे हमेशा अपनी संगीत विधा के प्रति ईमानदार रहे. वे जितने सादे थे उतनी ही जटिल उनकी संगीत रचना है मगर जटिल होते हुए भी उनकी धुनें बेहद सरस और मंत्रमुग्ध कर देने वाली है | वैसे जयदेव का निजी जीवन और संगीत -जीवन दोनों ही सदैव संघर्षपूर्ण रहा । ये वाकया है कि जिनके रिकॉर्ड भले ही हजारो बिके हों मगर उनके पास अपना रिकॉर्ड प्लेयर नही था। जयदेव मूलतः पंजाबी थे उनका जन्म ३ अगस्त १९१८ को 'नैरोबी' में हुआ था। माँ-बाप का प्यार तो इन्होने ठीक से जाना भी नही था कि माँ भगवन के पास और पिता अफ्रीका व्यवसाय के चक्कर में । इनका बचपन एक यतीम की तरह ही गुजरा. उन मुश्किल दिनों में एक मात्र सहारा अपने फूफा ही हुए जिनके यहाँ उन्होंने कुछ दिन बिताये । जयदेव की उम्र जब १५ की होगी जब '