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दीपक मशाल की लघुकथा परछाईं

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा के स्वर में अनुराग शर्मा की ही लघुकथा " गुरु " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं विश्व हिन्दी सचिवालय द्वारा प्रथम स्थान से पुरस्कृत दीपक मशाल लिखित लघुकथा परछाईं , जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। प्रस्तुत लघुकथा "परछाईं" का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 9 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। कुछ बड़े लोगों से मिला था कभी, तबसे कोई बड़ा नहीं लगता इतनी बौनी है दुनिया कि कोई, खड़ा हुआ भी खड़ा नहीं लगता  ~ दीपक मशाल हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी "अजी अगर हर जिलाधिकारी आप जैसा हो तो...