Skip to main content

Posts

Showing posts with the label new season

लायी हयात आये...रफीक शेख की मखमली आवाज़ में ज़ौक की क्लास्सिक शायरी

रफीक शेख  रफीक शेख रेडियो प्लेबैक के सबसे लोकप्रियक कलाकारों में से एक हैं, विशेष रूप से उनके गज़ल गायन के ढेरों मुरीद हैं. रेडियो प्लेबैक के ओरिजिनल एल्बम " एक रात में " में उनकी गाई बहुत सी गज़लें संगृहीत हैं. आज के इस विशेष कार्यक्रम में हम लाये हैं उन्हीं की आवाज़, एक नई गज़ल के साथ. वैसे गज़ल और गज़लकार के बारे में संगीत प्रेमियों को बहुत कुछ बताने की जरुरत नहीं है. इब्राहीम "ज़ौक" की इस मशहूर गज़ल से आप सब अच्छे से परिचित होंगें. इसे पहले भी अनेकों फनकारों ने अपनी आवाज़ में ढाला है, पर रेडियो प्लेबैक के किसी भी आर्टिस्ट के द्वारा ये पहली कोशिश है. लायी हयात आये कज़ा ले चली चले ना अपनी ख़ुशी आये ना अपनी ख़ुशी चले | दुनिया ने किसका राहे-फ़ना में दिया है साथ तुम भी चले चलो यूं ही जब तक चली चले | कम होंगे इस बिसात पे हम जैसे बदकिमार जो चाल हम चले वो निहायत बुरी चले |

जीत के गीत संग, मनाएं जश्न -ऐ- आज़ादी

दूसरे सत्र के सातवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज. सभी संगीत प्रेमियों को आज़ाद भारत की ६१ वीं सालगिरह मुबारक. कुछ तो है बात जो, हस्ती मिटती नही हमारी, सदियों रहा है दुश्मन, दौरे जहाँ हमारा. महंगाई की मार से बेहाल, आतंकवादी हमलों से सहमे, सांप्रदायिक हिंसा से खौफ खाये, एक बेहद मुश्किल दौर से गुजरते आम आदमी के चेहरे पर तब मुस्कराहट लौट आती है जब दूर बीजिंग से ख़बर आती है, कि एक २४ वर्षीय युवा ने ओलंपिक में तिरंगा लहराया है. अपनी तमाम चिताएं, और परेशानियों को भूलकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर भारतीय फ़िर एक बार भारतीय होने का गर्व महसूस करने लगता है. आज हमें एक नही, दो नही हजारों, करोड़ों अभिनव बिंद्रा चाहिए, जो असंख्य देश प्रेमियों की, अनगिनत कुर्बानियों की बदौलत मिले इस आज़ादी के तोहफे का मान रख सके. आज हिंद युग्म, देश के युवाओं से अपील करता है कि वो आगे बढ़ें और कमान संभालें, राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखें, अपने लिए सही राह चुनें, जीत के लक्ष्य को लेकर चलें, और अपने भीतर छुपे "अभिनव" को बाहर लेकर आयें. कुछ ऐसे ही भावों से ओत प्रेत है, हमारा आज के ये गीत भी. इस गीत के माध्यम से एक ब

समीक्षा के अखाडे में दूसरा दंगल

सरताज गीत बनने की जंग शुरू हो चुकी है, जुलाई के जादूगर गीत, जनता की अदालत में हाज़री बजाने के बाद, पहले चरण की समीक्षा की कठिन परीक्षा से गुजर रहे हैं, जैसा की हम बता चुके हैं कि पहले चरण में ३ समीक्षक होंगे और दूसरे और अन्तिम चरण में दो समीक्षक होंगे, समीक्षा का दूसरा चरण सत्र के समापन के बाद यानी जनवरी के महीने शुरू होगा, फिलहाल देखते हैं कि पहले चरण के, दूसरे समीक्षक ने जुलाई के जादूगरों को कितने कितने अंक दिए हैं. इस समीक्षा के अंकों में पहली समीक्षा के अंक जोड़ दिए गए हैं जिसके आधार पर, हमारे श्रोता देख पाएंगे कि कौन सा गीत है, अब तक सबसे आगे. गीत समीक्षा संगीत दिलों का उत्सव है .... पहला गीत है “ संगीत दिलों का उत्सव है …” सभी गीतों में सबसे श्रेष्‍ठ.. गीत संगीत और गायकी सब कुछ एकदम परफेकक्ट ... गीत संगीत और गायकी तीनों पक्षों में ताजगी लगती है। बीच बीच में आलाप बहुत प्रभावित करता है। इस गीत को 8 नंबर दे रहा हूँ। संगीत दिलों का उत्सव है... को दूसरे निर्णायक द्वारा मिले 8/10 अंक, कुल अंक अब तक 14 /20 बढे चलो. दूसरा गीत है “ बढ़े चलो …”, आज के हिन्द का युवा...ठीक कह सकते हैं। बह