ओल्ड इज़ गोल्ड - शनिवार विशेष - 70 एक बार सुल्तान ख़ाँ साहब नें कहा था कि जो कलाकार संगत करते हैं उन्हें अपने अहम को त्याग कर मुख्य कलाकार से थोड़ा कम कम बजाना चाहिए। उन्होंने बड़ा अच्छा उदाहरण दिया था कि अगर आप बाराती बन के जा रहे हो किसी शादी में तो आपकी साज-सज्जा दुल्हे से बेहतर तो नहीं होगी न! पूरे बारात में दुल्हा ही केन्द्रमणि होता है। ठीक उसी तरह, संगत देने वाले कलाकार को भी (चाहे वो कितना भी बड़ा कलाकार हो) मुख्य कलाकार के साथ सहयोग देना चाहिए।