एक अनाम शायर की मशहूर गज़ल को सुरों में ढालकर पेश कर रहे हैं रफीक शेख. सुनिए इस ताज़ा प्रस्तुति को - कोई गज़ल सुनाकर क्या करना, यूँ बात बढ़ाकर क्या करना तुम मेरे थे, तुम मेरे हो, दुनिया को बता कर क्या करना दिन याद से अच्छा गुजरेगा, फिर तुम को भुला कर क्या करना....