ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 747/2011/187 ‘ओ ल्ड इज गोल्ड’ पर जारी भारतीय संगीत के आधुनिक काल में प्रचलित थाटों की श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की आज की कड़ी में हम ‘काफी’ थाट का परिचय प्राप्त करेंगे और इस थाट के आश्रय राग ‘काफी’ पर आधारित एक फिल्मी गीत का आनन्द भी लेंगे। परन्तु उससे पहले प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों में की गई थाट विषयक चर्चा की कुछ जानकारी आपसे बाँटेंगे। संगीत की परिभाषा में थाट को संस्कृत ग्रन्थों में मेल अर्थात स्वरों का मिलाना या इकट्ठा करना कहते हैं। इन ग्रन्थों में थाट अथवा मेल के विषय में जो व्याख्या की गई है, उसके अनुसार ‘वह स्वर-समूह थाट कहलाता है, जो राग-निर्मिति में सक्षम हो’। पं॰ सोमनाथ अपने ‘राग-विवोध’ के तीसरे अध्याय में मेलों को परिभाषित करते हुए लिखा है- ‘थाट इति भाषायाम’ अर्थात, मेल को भाषा में थाट कहते हैं। ‘राग-विवोध’ आज से लगभग चार सौ वर्ष पूर्व की रचना है। यह ग्रन्थ ‘थाट’ का प्राचीन आधार भी है। आज हम आपसे थाट ‘काफी’ के विषय में कुछ चर्चा करेंगे।काफी थाट के स्वर हैं- सा, रे, ग॒, म, प, ध, नि॒। इस थाट में गान्धार और निषाद कोमल और शेष स्वर शुद्ध प्रयोग कि...