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मिलते ही ऑंखें दिल हुआ दीवाना किसी का....एक बेहतरीन दोगाना शमशाद और तलत की आवाजों में

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 207 आ प सभी को हमारी तरफ़ से नवरात्री के आरंभ की हार्दिक शुभकामनाएँ। यह त्योहार आप सभी के जीवन में ख़ुशियाँ ले कर आए, घर घर ख़ुशहाली हो, सभी सुख शांती से रहें यही हम माँ दुर्गा से प्रार्थना करते हैं। कल की तरह 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में आज भी एक युगल गीत की बारी। आज हम ज़रा पीछे की तरफ़ चलते हैं। साल १९५०। इस साल नौशाद और शक़ील बदायूनी ने जिन दो प्रमुख फ़िल्मों में साथ साथ काम किया था उनके नाम हैं 'दास्तान' और 'बाबुल'। दोनों ही फ़िल्में सुपरहिट रहीं। 'दास्तान' में राज कपूर और सुरय्या थे तो 'बाबुल' में दिलीप कुमार, नरगिस और मुनव्वर सुल्ताना। 'दास्तान' ए. आर. कारदार की फ़िल्म थी। निर्देशक एस. यु. सनी, जो १९४७ में कारदार साहब की फ़िल्म 'नाटक' का निर्देशन किया था, उन्होने अपनी निजी कंपनी खोली सनी आर्ट प्रोडक्शन्स के नाम से और इस बैनर के तले उन्होने अपनी पहली फ़िल्म बनाई १९५० में, 'बाबुल'। इसका निर्देशन उन्होने ख़ुद ही किया। नौशाद साहब को वो 'नाटक' और 'मेला' जैसी फ़िल्मों के दिनों से ही अच्छी