रंजना भाटिया जी .... जब मैंने ब्लॉग पढ़ना शुरू किया तो यह मेरी पहली पसंद बनीं. जो सोचता है ख़ास, लिखता है ख़ास तो उसकी पसंद के गीत....होंगे ही न ख़ास. उनके शब्दों से सुनिए - नमस्ते रश्मि जी ...गाने सुनना तो बहुत पसंद है और उस में से पांच गाने चुनना बहुत मुश्किल काम है ...पर कोशिश करती हूँ .... अजीब दास्तां है ये कहाँ शुरू कहाँ खतम ये मंज़िलें है कौन सी न वो समझ सके न हम अजीब दास्तां... फ़िल्म - दिल अपना और प्रीत पराई गायिका - लता मंगेशकर पसंद है इस लिए क्यों कि इस गीत में ज़िन्दगी कि सच्चाई है, एक ऐसी दास्तान जो ज़िन्दगी का सबसे बड़ा सच ब्यान करती है ...और ज़िन्दगी गुजर जाती है समझते समझाते ... सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी सच है दुनियावालों कि हम हैं अनाड़ी दुनिया ने कितना समझाया कौन है अपना कौन पराया फिर भी दिल की चोट छुपा कर हमने आपका दिल बहलाया खुद पे मर मिटने की ये ज़िद थी हमारी... सच है दुनियावालों कि हम हैं अनाड़ी सही में मैं अनाड़ी ही रही ..और दुनिया अपना काम कर गयी ..फिर भी आज तक कोई समझ नहीं पाया ...यह गाना खुद पर लिखा महसूस होता है इ...