Skip to main content

Posts

Showing posts with the label Shishir Krishna Sharma

"दग़ा देके चले गए..." - सितारा देवी को श्रद्धा-सुमन, उन्हीं के गाये इस गीत के ज़रिए

एक गीत सौ कहानियाँ - 46   सितारा देवी का स्मरण करती एक विशेष प्रस्तुति  ‘ दग़ा देके चले गए ... ’     'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़ी दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'। इसकी 46-वीं कड़ी में आज हम श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं कथक दिवा सितारा देवी को उन्हीं के गाये और उन्हीं पर फ़िल्माए गए

खत जो लिखा नहीं गया - शिशिर कृष्ण शर्मा

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा के स्वर में उन्हीं का लिखा लघु संस्मरण " पाकिस्तान में एक ब्राह्मण की आत्मा " सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं प्रसिद्ध फिल्म इतिहासकार, पत्रकार और लेखक शिशिर कृष्ण शर्मा द्वारा कश्मीर के मार्मिक हालात पर लिखित हृदयस्पर्शी कहानी खत जो लिखा नहीं गया जिसे स्वर दिया है  अनुराग शर्मा ने। जनसत्ता सबरंग के दिसम्बर 1998 अंक में प्रकाशित प्रस्तुत कथा का गद्य " व्यंग्योपासना ब्लॉग " पर उपलब्ध है। " खत जो लिखा नहीं गया " का कुल प्रसारण समय 13 मिनट 11 सेकंड है। सुनिए और बताइये कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। सालभर में कई कई रंग बदलते हैं ये पहाड़। इन दिनों जब वृक्षों पर नए पत्ते