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बेकरार कर के हमें यूँ न जाइए, आप को हमारी कसम लौट आइए

हेमंत कुमार की 19वीं बरसी पर अनिता कुमार की ख़ास पेशकश आज 26 सितम्बर, हेमंत दा की 19वीं पुण्यतिथि। बचपन की यादों के झरोंखों से उनकी सुरीली मदमाती आवाज जहन में आ-आ कर दस्तक दे रही है। पचासवें दशक के किस बच्चे ने 'गंगा-जमुना' फ़िल्म का उनका गाया ये गीत कभी न कभी न गाया होगा! "इंसाफ़ की डगर पे बच्चों दिखाओ चल के, ये देश है तुम्हारा"। हेमंत कुमार हेमंत कुमार मुखोपाध्य जिन्हें हम हेमंत दा के नाम से जानते हैं, 16 जून 1920 को वाराणसी के साधारण से परिवार में जन्में लेकिन बचपन में ही बंगाल में स्थानातरित हो लिए। उनके बड़े भाई कहानीकार थे, माता पिता ने सपना देखा कि कम से कम हेमंत इंजीनियर बनेगें। लेकिन नियति ने तो उनकी तकदीर में कुछ और ही लिखा था। औजारों की टंकार उनके कवि हृदय को कहां बाँध पाती, कॉलेज में आते न आते वो समझ गये थे कि संगीत ही उनकी नियति है और महज तेरह वर्ष की आयु में 1933 में ऑल इंडिया रेडियो के लिए अपना पहला गीत गा कर उन्होंने गीतों की दुनिया में अपना पहला कदम रखा और पहला फ़िल्मी गीत गाया एक बंगाली फ़िल्म 'निमयी संयास' के लिए। 1943 में आये बंग अकाल ने

आवाज़ के वाहक

हिन्द-युग्म ने इंटरनेट की जुगलबंदी से दुनिया भर में फैले युवा संगीतकारों, गीतकारों, गायकों, संगीत आलेखकों, संगीत समीक्षकों और वाचकों इत्यादि को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया है। संगीत के हर पहलू का युग्म (जोड़) है हमारा यह प्रयास आवाज। संगीतकार हिन्द-युग्म ने १७ संगीतकारों की मदद से कुल ३७ गीत तैयार कर लिये हैं। वर्तमान में १५ संगीतकार अलग-अलग गीतों पर काम कर रहे हैं। 14. शिशिर पारखी , 15. कुमार आदित्य विक्रम