( पहले अंक से आगे ...) "किस्मत ने हमें मिलाया और किस्मत ने ही हमें जुदा कर दिया....", अक्सर उनके मुँह से ये वाक्य निकलता था. आशा के साथ सम्बन्ध विच्छेद होने के बाद ओ पी का जीवन फ़िर कभी पहले जैसा नही रहा. इस पूरी घटना ने उनके पारिवारिक रिश्तों में भी दरारें पैदा कर दी थी. ये सब उनकी पत्नी, तीन बेटियों और एक बेटे के लिए लगभग असहनीय हो चला था. कुंठा से भरे ओ पी ने किसी साधू की सलाह पर सारी धन संपत्ति, घर (जो लगभग ६ करोड़ का था उन दिनों), गाड़ी, बैंक बैलेंस आदि का त्याग कर सब से अपना नाता तोड़ लिया. पर उनके परिवार ने कभी भी उन्हें माफ़ नही किया....कुछ ज़ख्म कभी नही भरते शायद. 1989 में घर छोड़ने के बाद उन्होंने एक मध्यमवर्गीय महाराष्ट्रीय परिवार के साथ पेइंग गेस्ट बन कर रहने लगे, और मरते दम तक यही उनका परिवार रहा. यहाँ उन्हें वो प्यार और वो सम्मान मिला जिसे शायद उम्र भर तलाशते रहे ओ पी. उस परिवार के एक सदस्या के अनुसार उन्हें अपने परिवार और फ़िल्म इंडस्ट्री के बारे में बात करना बिल्कुल नही अच्छा लगता था. सुरैया, शमशाद बेगम और कभी कभी गजेन्द्र सिंह (स रे गा माँ पा फेम) ही थी जिनसे वो...