स्वरगोष्ठी – 347 में आज फिल्मी गीतों में ठुमरी के तत्व – 4 : ठुमरी भैरवी “बाट चलत नई चुनरी रंग डारी श्याम...” – पछाही ठुमरी का एक उत्कृष्ट उदाहरण गीता दत्त ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “फिल्मी गीतों में ठुमरी के तत्व” की इस चौथी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। पिछली श्रृंखला में हमने आपके लिए फिल्मों में पारम्परिक ठुमरी के साथ-साथ उसके फिल्मी प्रयोग को भी रेखांकित किया था। इस श्रृंखला में भी हम केवल फिल्मी ठुमरियों की चर्चा कर रहे हैं, किन्तु ये ठुमरियाँ पारम्परिक हों, यह आवश्यक नहीं हैं। इन ठुमरी गीतों को फिल्मों के प्रसिद्ध गीतकारों ने लिखा है और संगीतकारों ने इन्हें विभिन्न रागों में बाँध कर ठुमरी गायकी के तत्वों से अभिसिंचित किया है। हमारी इस श्रृंखला “फिल्मी गीतों में ठुमरी के तत्व” के शीर्षक से ही यह अनुमान हो गया होगा कि इस श्रृंखला का विषय फिल्मों में शामिल किये गए ऐसे गीत हैं जिनमे राग, भाव और रस की दृष्टि से उपशास्त्रीय गायन शैली