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इंटरनेट की मदद से हिन्दी की जड़ें मज़बूत होंगी

मानना है कथावाचक शन्नो अग्रवाल का पि छली बार पूजा अनिल ने आपको आवाज़ के पॉडकास्ट कवि सम्मेलन की संचालिका डॉ॰ मृदुल कीर्ति से मिलवाया था। इस बार ये एक नई शख्सियत के साथ हाज़िर हैं, एक नये प्रयोग के साथ। मृदुल कीर्ति के साक्षात्कार को इन्होंने लिखित रूप से प्रस्तुत किया था, लेकिन इस बार बातचीत को आप सुन भी सकते हैं। इंटरव्यू है प्रेमचंद की कहानियों का वाचन कर श्रोताओं का मन जीत चुकी शन्नो अग्रवाल का। यह इंटरव्यू 'स्काइपी' की मदद से सीधी बातचीत की रिकॉर्डिंग है। सुनें और बतायें कि यह प्रयोग आपको कैसा लगा?

मेरी आवाज़ ही पहचान है.... पार्श्व गायक भूपेंद्र

इनसे मिलिए (1)- भूपेन्द्र आज से हम आवाज़ पर एक नई शृंखला शुरू कर रहे हैं. विविध भारती से प्रसारित हुए कुछ अनमोल साक्षात्कारों को हम यहाँ टेक्स्ट और ऑडियो फॉर्मेट में पुनर्प्रस्तुत कर रहे हैं. इस काम में हमारी सहायता कर रहे हैं सुजोय चट्टर्जी. पहली कड़ी के रूप में आज हम AIR विविध भारती की रेणू बंसल द्वारा लिया गया पार्श्व गायक भूपेंद्र का ये साक्षात्कार यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं. साथ में हैं भूपेंद्र के गाये कुछ बेहद यादगार गीत जो कार्यक्रम के दौरान सुनवाये गए. कलाकार: भूपेंद्र (पार्श्व गायक) साक्षात्कारकर्ता : रेणु बंसल (विविध भारती AIR) रेणु बंसल : दोस्तों, पार्श्व गायन की दुनिया में यूँ तो बहुत सी आवाज़ें सुनाई देते हैं, लेकिन एक आवाज़ सबसे अलग सुनाई पड़ती है,यूँ लगता है जैसे बहुत अलसाई सी हो और मीठी खुमारी से भारी हो.जैसे जैसे वो आवाज़ तान लेती है, यूँ लगता है कोई दोशीजा अंगडाई ले रही हो. यह वो आवाज़ है जो कभी हमारा हाथ पकड़ के बचपन की गलियों में,कभी गाँवों की मेडों पर दूर किसी राह पर ले जाती है जहाँ यादों के साथ साथ ज़िंदगी के कितने ही रंगों के खूबसूरत अहसासों से होकर हम गुज़रते है