स्वर्गीय फ़िल्मकार शक्ति सामंत की पुण्य स्मृति को समर्पित इस सिलसिले का पहला भाग आपने पढ़ा और कुछ गाने भी सुने पिछले रविवार को। आइये अब शक्तिदा के फ़िल्मी सफ़र की कहानी को आगे बढ़ाते हैं। पिछले भाग में हमने ज़िक्र किया था उनकी पहले पहले कुछ निर्देशित फ़िल्मों की, जैसे कि 'बहू'(१९५५), 'इंस्पेक्टर'(१९५६), और 'हिल स्टेशन'(१९५७)। १९५७ में ही उन्होने एक और फ़िल्म का निर्देशन किया था, यह फ़िल्म थी एस. पी. पिक्चर्स के बैनर तले बनी 'शेरू'। फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे अशोक कुमार और नलिनी जयवन्त। पहले की तीन फ़िल्मों में हेमन्त कुमार का संगीत था, लेकिन अब की बार शेरू में संगीत दिया मदन मोहन ने। सुनते चलिए कैफ़ इर्फ़ानी का लिखा और लता मंगेशकर का गाया "नैनों में प्यार डोले, दिल का क़रार डोले, तुम जब देखो पिया मेरा संसार डोले". गीत: नैनों में प्यार डोले (शेरू) 'इंस्पेक्टर' की कामयाबी के बाद शक्ति सामंत ने एक गाड़ी खरीदी और ऐक्सीडेन्ट भी कर बैठे। तीन हड्डियाँ तुड़वा कर वो अस्पताल में भर्ती थे। तो वहाँ बिस्तर पर लेटे लेटे वो सोचने लगे कि अब क्या किया ज