स्वरगोष्ठी – 178 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 4 : राग रामदासी मल्हार और सूर मल्हार संगीत की दो विभूतियों द्वारा सृजित मल्हार अंग के दो राग ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के एक एक नए अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र उपस्थित हूँ। इस मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की चौथी कड़ी में एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। मित्रों, इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी प्रस्तुत कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत मल्हार अंग के सभी राग पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में समर्थ हैं। आम तौर पर इन रागों का गायन-वादन वर्षा ऋतु में अधिक किया जाता है। इसके साथ ही कुछ ऐसे सार्वकालिक राग भी हैं जो स्वतंत्र रूप से अथवा मल्हार अंग के मेल