"सर पे लाल टोपी रूसी, फ़िर भी दिल है हिन्दुस्तानी...." जब राज कपूर ने चैपलिन अंदाज़ में इस गीत पर कदम थिरकाए, तब वो रूस में इतने लोकप्रिय साबित हुए कि वो और उनकी पूरी टीम रूस में हिन्दुस्तानी भाषा, कला और संस्क्रति की पहचान ही बन गए. १९५० में राजनितिक आवश्यकताओं और व्यापार उद्देश्यों के चलते दोनों देशों के बीच जिस रिश्ते की बुनियाद पड़ी थी कालांतर में संगीत और कला के आदान प्रदान ने उसे एक आत्मीय दोस्ती में तब्दील कर दिया. रूस की झलक फिल्मों में भी खूब रही, राज कपूर की ही "मेरा नाम जोकर" और अभी हालिया प्रर्दशित "दसविदानिया" में भी रुसी कनक्शन देखने को मिला है. एक ऐसा ही मौका हिंद युग्म को भी मिला, जब दिल्ली स्थित रशियन कल्चरल सेंटर ने हिंद युग्म के गीत संगीत प्रभाग से भारत रूस दोस्ती पर एक गीत बनाने का आग्रह किया. हर बार की तरह युग्म की टीम एक बार फ़िर उम्मीदों पर खरी उतरी, और फरवरी के पहले सप्ताह में जो गीत हमने सेंटर को भेजा समीक्षा के लिए, उसे १९ तारिख को होने वाले एक भव्य समारोह के लिए चुन लिया गया. साथ ही यह भी कहा गया कि इस गीत की सी डी को उसी कार्यक्...