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२७ गीतों ने पार किया समीक्षा के पहले चरण का विशाल समुन्दर

दोस्तों, दूसरे सत्र में प्रकाशित हमारे २७ गीतों ने आज अपनी समीक्षा के पहले चरण का पड़ाव पार कर लिया है. अर्थात् ५ समीक्षकों में से ३ ने अपने अंक दे दिए हैं. इस पहले चरण के बाद सभी गीतों की जो अब तक की स्थिति है उसका ब्यौरा आज हम यहाँ प्रस्तुत करने जा रहे हैं. समीक्षा का दूसरा और अन्तिम चरण अभी जारी है. जिसके बाद हम उदघोषणा करेंगें हमारे टॉप १० गीतों का और उनमें से एक होगा हमारा सरताज गीत. आज हम दिसम्बर के दिग्गज गीतों की, तीनों समीक्षकों की समीक्षाएं और अन्तिम अंक तालिका यहाँ प्रस्तुत करने जा रहे हैं पर उससे पहले नवम्बर के नम्बरदार गीतों की जो तीसरी समीक्षा छूट गई थी, पहले उस पर एक नज़र डाल लें. तीसरे समीक्षक ने नवम्बर के नम्बरदार गीतों के बारे में कुछ यूँ राय रखी है - गीत # १९. उड़ता परिंदा गीत अच्‍छा लिखा गया है । संगीत बढिया है । पर गायकी कमज़ोर लगी । एक और बात । उच्‍चारण दोष सुधारना गायकों के लिए बहुत ज़रूरी है । दीवार को दिवार और ख़त को खत कहा है । जिससे रस-भंग हो जाता है । गीत--४, धुन और संगीत संयोजन-४, गायकी और आवाज़-३, ओवारोल प्रस्तुति-४, कुल - १५/२०=७.५/१०. पहले चरण के कुल अंक

कितना है दम नवम्बर के नम्बरदार गीतों में

अक्तूबर के अजयवीरों ने पहले चरण की समीक्षा का समर पार किया अब बारी है नवम्बर के नम्बरदार गीतों की. यहाँ हम आपके लिए, पहले और दूसरे समीक्षक, दोनों के फैसलों को एक साथ प्रस्तुत कर रहे हैं, तो जल्दी से जान लेते हैं कि नवम्बर के इन नम्बरदारों ने समीक्षकों को क्या कहने पर मजबूर किया है. उडता परिन्दा पहले समीक्षक - सुदीप यशराज के ऒल इन वन प्रस्तुति का संगीत पक्ष बेहद श्रवणीय है. संगीत के अरेंजमेंट को भी कम वाद्यों की मदत से मनचाहा इफ़ेक्ट पैदा कर रहा है. प्रख्यात प्रयोगधर्मी संगीतकार एस एम करीम इसी तरह के स्वरों का केलिडियोस्कोप बनाया करते है. लोरी से लगने वाले इस गाने के कोमल बोलों का लेखन भी उतना ही अच्छा हो नहीं पाया है, क्योंकि कई अलग अलग ख्यालात एक ही गीत में डाल दिये गये है. मगर यही तो एक फ़ेंटासी और मायावी स्वप्न नगरी का सपना देख रही नई पीढी़ का यथार्थ है. यही बात गायक सुदीप के पक्ष में जाती है. थोडा कमज़ोर गायन ज़रूर है, जो बेहतर हो सकता था, क्योंकि गायक की रचनाधर्मिता तो बेहद मौलिक और वाद से परे है. गीत - ४, धुन व् संगीत संयोजन - ३.५, आवाज़ व गायकी - ३.५, ओवारोल प्रस्तुति - ३.५.

रफ़िक़ शेख की ग़ज़ल ने ली जबरदस्त बढ़त, छोडा खुशमिजाज़ मिटटी को पीछे

अक्तूबर के अजय वीर गीत हैं फ़िर एक बार आमने सामने, और पहले चरण के तीसरे और अन्तिम समीक्षक की पैनी नज़र है उन पर. देखते हैं कि क्या फैसला उनका- डरना झुकना छोड़ दे — गीत बेहद प्रभावी है । बोल बढिया हैं । अच्‍छी बात ये है कि ये गीत एक संदेश देता है । संयोजन और गायकी में भी ये गीत एकदम युवा है । क्‍लब मिक्‍स में जो टेक्‍नो इफेक्‍ट्स हैं वो अच्‍छे लगते हैं । लेकिन मुझे लगता है कि पंजाबी तड़का मिक्‍स ज्‍यादा अच्‍छा बन पड़ा है । इसे हम सूफी मिक्‍स कहते तो ज्‍यादा अच्‍छा लगता । अब तक का सर्वश्रेष्‍ठ गीत । गीत—पूरे पांच. धुन और संगीत संयोजन-पूरे पॉँच, गायकी और आवाज़-पूरे पांच, ओवारोल प्रस्तुति-पूरे पांच कुल- २०/२०: १०/१०, कुल अंक (पहले चरण की समीक्षा के बाद) - 20.5 / 30 ऐसा नहीं कि आज मुझे चांद चाहिए --- इस ग़ज़ल की शायरी ज़रा कमज़ोर लगी । गायकी और संगीत संयोजन उत्‍तम । गीत—४, धुन और संगीत संयोजन-५, गायकी और आवाज़-५, ओवारोल प्रस्तुति-४ कुल- १८/२०: ९/१०, कुल अंक (पहले चरण की समीक्षा के बाद) - 24 / 30 सूरज चांद और सितारे । ये ठीक है कि ये हिंद युग्‍म पर अब तक का सबसे बड़ा ग्रुप है । लेकिन दिक्‍क

अक्तूबर के अजय वीर पहली बार आमने सामने

अक्तूबर के अजय वीर गीतों के पहले चरण की पहली समीक्षा में समीक्षक ने मेलोडी को तरजीह दी है... गीत # १४ - डरना झुकना छोड़ दे एकदम सामान्य गीत, पूरा सुन पाना भी मुश्किल... गीत के ३ और गायकी के ३ अंक के अलावा बाकी सारे पक्षों में एक भी नंबर दे पाना मुश्किल। गीत ३, संगीत ० , गायकी ३, प्रस्तुति ०, कुल ६ / २०. 3/10. गीत # 15 -ऐसा नही कि आज मुझे चाँद चाहिए एक और कर्णप्रिय रचना.. गीत बढ़िया संगीत उम्दा , प्रस्तुति भी बढ़िया बस गायकी में (नीचे सुरों में )थोड़ी सी गुंजाईश और हो सकती थी। फिर भी आलओवर बहुत बढ़िया रचना। गीत ४, संगीत ४, गायकी ३.५, प्रस्तुति ३.५, कुल १५ /२० 7.5/10 गीत # 16 - सूरज चाँद सितारे .. कर्णप्रिय गीत, एक बार सुनने लायक। गीत ४,संगीत ३.५,गायकी ३.५, प्रस्तुति ४ कुल १५/२०. 7.5/10. गीत # 17 - आखिरी बार तेरा दीदार ... बहुत ही सुन्दर गज़ल,सभी पहलूओं पर कलाकारों ने अपना पूरा योगदान दिया। संगीत,गायकी,गीत सब कुछ शानदार। बेहद कर्णप्रिय। गीत ४.५ संगीत ४.५ गायकी ४.५ प्रस्तुति ४.५ कुल १८/२०. 9/10. गीत # 18 - ओ साहिबा एक बार फिर सजीव सारथी के मधुर गीत को शुभोजीत ने सुन्दर संगीत में ढ़ाला

आधे सत्र के गीतों ने पार किया समीक्षा का पहला चरण

सितम्बर के सिकंदरों की पहले चरण की अन्तिम समीक्षा, और तीन महीनों में प्रकाशित १३ गीतों की पहले चरण की समीक्षा के बाद का स्कोरकार्ड समीक्षक की व्यस्तता के चलते हम सितम्बर के गीतों की पहले चरण की अन्तिम समीक्षा को प्रस्तुत करने में कुछ विलंब हुआ. तो लीजिये पहले इस समीक्षा का ही अवलोकन कर लें. खुशमिजाज़ मिटटी बढ़िया गीत होते हुए पर भी पता नहीं क्या कमी है, गीत दिल को छू नहीं पाता। ठीक संगीत, गीत बढ़िया और गायकी भी ठीकठाक। गायक को अभिजीत की शैली अपनाने की बजाय खुद की शैली विकसित करनी चाहिये। गीत: ३, संगीत 3, गायकी ३, प्रस्तुति ३, कुल १२/२०, पहले चरण में कुल अंक २५ / ३०. राहतें सारी एक बार सुन लेने लायक गीत, बोल सुंदर परन्तु संगीत ठीक है। वैसे संगीतकार की उम्र बहुत कम है उस हिसाब से बढ़िया कहा जायेगा, क्यों कि बड़े बड़े संगीतकार भी इस उम्र में इतने बढ़िया संगीत नहीं रच पाये हैं। गीत ३.५, संगीत ३.५ गायकी ३ प्रस्तुति 3 कुल १३/२०, पहले चरण में कुल अंक १८ / ३०. ओ मुनिया बढ़िया गीत को संगीत और प्रस्तुति के जरिये कैसे बिगाड़ा जाता है उसका बेहद शानदार नमूना, एक पंक्ति भी सुनने लायक नहीं, जबरन एक दो लाइनें

पहले चरण की दूसरी समीक्षा में कांटे की टक्कर, सितम्बर के सिकंदरों की

सितम्बर के सिकंदर गीत समीक्षा की पहली परीक्षा से गुजर चुके हैं, आईये जानें हमारे दूसरे समीक्षक की क्या राय है इनके बारे में - पहला गीत खुशमिज़ा़ज मिट्टी । मेरा मानना है कि ये गीत अब तक के सबसे संपूर्ण गीतों में से एक है । इस पर बहस की कोई गुंजाईश ही नहीं है । गायक संगीतकार ने इसके बोलों को बहुत ही संवेदनशीलता के साथ निभाया है । सुबोध साठे को बधाई । गौरव के बोल एक पके हुए गीतकार की कलम से निकले लगते हैं । आवाज़ के सबसे अच्‍छे गीतों में से एक है ये । गीत- 5, धुन और संगीत संयोजन—5, गायकी और आवाज़—5, ओवारोल प्रस्तुति—5 कुल अंक 20 / 20 यानी 10 / 10, कुल अंक अब तक (पहली और दूसरी समीक्षा को मिला कर)= 19 /20 दूसरा गीत— राहतें सारी मुझे लगता है कि इस गाने से किसी भी पक्ष में पूरा न्‍याय नहीं हुआ है । मोहिंदर जी के इस गीत के पहले दो अंतरे अच्‍छे हैं । पर आखिरी दो अंतरे कमजोर लगे । उनमें ‘गेय तत्‍त्‍व’ की कमी नज़र आई । कृष्‍ण राज कुमार ने कोशिश की है कि इस गाने को बहुत ही नाजुक-सा बनाया जाये । पर मुझे लगता है कि इस आग्रह की वजह से गाने के प्रभाव पर बहुत बुरा असर पड़ा है । इस गाने को और चमकाया जा

सितम्बर के सिकंदरों को पहली भिडंत, समीक्षा के अखाडे में...

सितम्बर के सिकंदरों की पहली समीक्षा - समीक्षा ( खुशमिजाज़ मिटटी ) सितम्बर माह का पहला गीत आया है सुबोध साठे की आवाज़ में "खुशमिजाज़ मिट्टी"। गीत लिखा है गौरव सोलंकी ने और संगीतकार खुद सुबोध साठे हैं। गीत के बोल अच्छी तरह से पिरोये गये हैं। गीत की शुरुआत जिस तरह से टुकड़ों में होती है, उसी तरह संगीतकार ने मेहनत करके टुकड़ों में ही शुरुआत दी है। धीमी शुरुआत के बावजूद सुबोध साठे के स्वर मजबूती से जमे हुए नज़र आते हैं। वे एक परिपक्व संगीतकार की तरह गीत की "स्पीड" को "मेण्टेन" करते हुए चलते हैं। असल में गीत का दूसरा और तीसरा अन्तरा अधिक प्रभावशाली बन पड़ा है, बनिस्बत पहले अन्तरे के, क्योंकि दूसरा अन्तरा आते-आते गीत अपनी पूरी रवानी पर आ जाता है। ध्वनि और संगीत संयोजन तो बेहतरीन बन पड़ा ही है इसका वीडियो संस्करण भी अच्छा बना है। कुल मिलाकर एक पूर्ण-परिपक्व और बेहतरीन प्रस्तुति है। गीत के लिये 4 अंक (एक अंक काटने की वजह यह कि गीत की शुरुआत और भी बेहतर हो सकती थी), आवाज और गायकी के लिये 5 अंक (गीत की सीमाओं को देखते हुए शानदार प्रयास के लिये), ध्वनि संयोजन और संगीत के लिय

तीसरी बार हुई अगस्त के अश्वारोही गीतों की परख

पहले चरण की तीसरी और अन्तिम समीक्षा को प्रस्तुत करने में कुछ विलंब हुआ, दरअसल हमारे माननीय समीक्षक जब पहले दो गीतों की समीक्षा हमें भेज चुकें थे तब उन्हें किसी व्यक्तिगत कारणों के चलते समयाभाव का सामना करना पड़ा. इसी कारण अन्तिम तीन गीतों की समीक्षा उन्होंने काफ़ी संक्षिप्त की है पहले दो गीतों की तुलना में. लेकिन अंक समीकरण हमारे लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं सरताज गीत चुनने की प्रक्रिया में. तो प्रस्तुत है पहले चरण के अन्तिम समीक्षक के विचार हमारे ऑगस्त के अश्वारोही गीतों पर. मैं नदी गाना शुरू हुआ और सिग्‍नेचर मूजिक शुरू हुआ तो बहुत उम्मीदें बंधी । सुंदर सिग्‍नेचर तैयार किया है । और जब मानसी पिंपले की आवाज़ की आमद होती है तो एक तरह की ताज़गी का अहसास होता है । गाने का मुखड़ा बेहतरीन है । रिदम बेहतरीन तरीक़े से रखा गया है । पर पता नहीं क्‍यों मुझे हिंदी सिनेमा संसार के किसी गाने की झलक लगी इस गाने की ट्यून में । जब हम पहले अंतरे पर पहुंचे तो ये सुनकर कष्ट हुआ कि मिक्सिंग में कमी रह गयी है और गायिका मानसी की आवाज़ डूब गयी है । वाद्यों की आवाज़ ने बोलों की स्पष्ट कर ली है । पहले अंतरे के बाद का

अगस्त के अश्वारोहियों की दूसरी भिडंत में जबरदस्त उठा पटक

जैसे जीवन के कुछ क्षेत्रों मे हमेशा असंतोष बना रहता है वैसे ही संगीत की दुनिया में कुछ लोग इस तरह की चर्चा करते हैं कि संगीत में तो अब वह बात नहीं रही. हक़ीक़त यह है कि समय,काल,परिवेश के अनुसार संगीत बदला है. चूँकि उसका सीधा ताल्लुक मनुष्य से है जिसका स्वभाव ही परिवर्तन को स्वीकारना है तो संगीत का दौर और कलेवर कैसे स्थायी रह सकता है वह भी बदलेगा ही और हमें उसे बदले रंगरूप में भी स्वीकार करने का जज़्बा पैदा करना पड़ेगा. आवाज़ एक सुरीला ब्लॉग है जहा नयेपन की बयार बहती रहती है.नई आवाज़ें,नये शब्द और नयापन लिये संगीत.इस बार भी पाँच प्रविष्टियाँ मेरे कानों पर आईं और तरबतर कर गईं. मुश्किल था इनमें से किसे कम कहूँ या ज़्यादा. लेकिन जो भी समझ पाया हूँ आपके सामने है. १) नदी हूँ मैं पवन हूँ,मैं धरा या गगन: शब्द अप्रतिम,गायकी अच्छी है शब्द की सफ़ाई पर ध्यान दिया जाने से ये आवाज़ एक बड़ी संभावना बन सकती है,उन्हें गायकी का अहसास है.कम्पोज़िशन मौके के अनुकूल है और मन पर असर करती है. गीत:4.5/5 संगीत:4/5 आवाज़:3/5 कुल प्रभाव 3.5/5 15/20 7.5/10 कुल अंक अब तक 13.5 / 20 २) बेइंतहा प्यार रचना सुन्दर बन पड़ी है.आवाज़ भी

समीक्षा के महासंग्राम में, पहले चरण की आखिरी टक्कर

आज हम समीक्षा के पहले चरण के अन्तिम पड़ाव पर हैं, तीसरे समीक्षक की रेटिंग के साथ जुलाई के जादूगरों को प्राप्त अब तक के कुल अंकों को लेकर ये गीत आगे बढेंगें अन्तिम चरण की समीक्षा के लिए, जो होगा सत्र के अंत में यानी जनवरी २००९ में, जिसके बाद हमें मिलेगा, हमारे इस सत्र का सरताज गीत. तो दोस्तों चलते हैं पहले चरण की समीक्षा में, अपने तीसरे और अन्तिम समीक्षक के पास और जानते हैं उनसे, कि उन्होंने कैसे आँका हमारे जुलाई के जादूगर गीतों को - (पहले दो समीक्षकों के राय आप यहाँ और यहाँ पढ़ सकते हैं) गीत समीक्षा Stage 01, Third review संगीत दिलों का उत्सव है .... पहला गीत है - संगीत दिलों का उत्सव है... इस गाने की उपलब्धि है मुखड़ा --'संगीत दिलों का उत्सव है- बहुत सुंदर है ये गीत । हालांकि मुझे लगता है कि इस गीत में भी गेय तत्व मुश्किल हो गए हैं । रचना के दौरान कई पंक्तियां लंबी और कठिन बन गयी हैं । पर कुल मिलाकर इन कमियों को इसकी धुन और गायकी में ढक लिया गया है । गायकों की आवाज़ें बढि़या लगीं । और धुन भी । आलाप सुंदर जगह पर रखे गए हैं । गाने का इंट्रोडक्‍शन म्यूजिक बहुत लंबा है पर मधुर है । गि

समीक्षा के अखाडे में दूसरा दंगल

सरताज गीत बनने की जंग शुरू हो चुकी है, जुलाई के जादूगर गीत, जनता की अदालत में हाज़री बजाने के बाद, पहले चरण की समीक्षा की कठिन परीक्षा से गुजर रहे हैं, जैसा की हम बता चुके हैं कि पहले चरण में ३ समीक्षक होंगे और दूसरे और अन्तिम चरण में दो समीक्षक होंगे, समीक्षा का दूसरा चरण सत्र के समापन के बाद यानी जनवरी के महीने शुरू होगा, फिलहाल देखते हैं कि पहले चरण के, दूसरे समीक्षक ने जुलाई के जादूगरों को कितने कितने अंक दिए हैं. इस समीक्षा के अंकों में पहली समीक्षा के अंक जोड़ दिए गए हैं जिसके आधार पर, हमारे श्रोता देख पाएंगे कि कौन सा गीत है, अब तक सबसे आगे. गीत समीक्षा संगीत दिलों का उत्सव है .... पहला गीत है “ संगीत दिलों का उत्सव है …” सभी गीतों में सबसे श्रेष्‍ठ.. गीत संगीत और गायकी सब कुछ एकदम परफेकक्ट ... गीत संगीत और गायकी तीनों पक्षों में ताजगी लगती है। बीच बीच में आलाप बहुत प्रभावित करता है। इस गीत को 8 नंबर दे रहा हूँ। संगीत दिलों का उत्सव है... को दूसरे निर्णायक द्वारा मिले 8/10 अंक, कुल अंक अब तक 14 /20 बढे चलो. दूसरा गीत है “ बढ़े चलो …”, आज के हिन्द का युवा...ठीक कह सकते हैं। बह