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मोरे नैना सवान बादो...बहुत दुर्लभ मगर जादू भरा है फिल्म विद्यापति का ये गीत

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 176 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' पर आज आ ही गयी वह घड़ी जिसका आप सभी बड़े ही बेसबरी से इंतज़ार कर रहे थे। जी हाँ, 'ओल्ड इज़ गोल्ड पहेली प्रतियोगिता' के पहले विजेता शरद तैलंग जी के फ़रमाइशी गीतों को सुनने का इंतज़ार अब हुआ ख़त्म। शरद जी के पसंद के पाँच गानें हम सुनेंगे अगले पाँच दिनों में बिल्कुल बैक टू बैक। शरद जी ने हमें १० गानें लिख कर भेजे थे, जिनमें से पाँच गीतों को हम ने अपनी तरफ़ से चुन लिया है। हालाँकि उनके भेजे १० के १० गीत ही लाजवाब हैं और हर एक गीत इस सीरीज़ में शामिल होने का पूरा पूरा हक़ रखता है, लेकिन इन पाँच गीतों के दोनो तरफ़ दो ऐसी दीवारें हैं कि चाह कर भी लगातार १० गानें नहीं बजा सकते। तो दोस्तों, शरद जी के पसंद का पहला गाना जो आज हम ने चुना है वह एक बड़ा ही दुर्लभ गीत है लता मंगेशकर का गाया हुआ। दुर्लभ इसलिए कि यह फ़िल्म बहुत ज़्यादा मशहूर नहीं हुई और इसलिए भी कि इस गीत के संगीतकार बहुत कमचर्चित रहे हैं फ़िल्म संगीत निर्देशन के क्षेत्र में। सुनवा रहे हैं आप को १९६४ की फ़िल्म 'विद्यापति' से संगीतकार वी. बलसारा की संगीत रचना "