Skip to main content

Posts

Showing posts with the label qateel shifai

जो खुद को आज़ाद कहे, वो सबसे बड़ा झूठा है... अनीला की आवाज़ में सुनिए क़तील साहब का बेबाकपन

महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८३ इ स महफ़िल में बस गज़ल की बातें होनी चाहिए, हम यह बात मानते हैं, लेकिन आज हालात कुछ ऐसे हैं कि हमसे रहा नहीं जा रहा। भारतीय क्रिकेट टीम ट्वेंटी-ट्वेंटी के विश्व कप से बाहर हो गई... बाहर होना तो एक बात है, यहाँ तो इस टीम ने पूरी तरह से घुटने टेक दिए। तीनों के तीनों मैच रेत की तरह मुट्ठी से गंवा दिए। सीरिज से पहले तो हज़ार तरह के वादे किए गए थे लेकिन आखिरकार हुआ क्या.. पिछली साल की तरह हीं बेरंग लौट आई यह टीम। एक ऐसे देश में जहाँ क्रिकेट को धर्म माना जाता है, वहाँ धर्म की इस तरह क्षति हो तो एक आस्तिक क्या करे.... उसके दिल को ठेस तो लगेगी हीं। लेकिन हम कर भी क्या सकते हैं। कुछ दिनों तक इस हार को याद रखेंगे फिर उसी जोश उसी खरोश के साथ भारतीय टीम के अगले मैच को देखने के लिए तैयार हो जाएँगे। हम हैं हीं ऐसे... लेकिन इन्हीं कुछ दिनों के दरम्यान जितने भी पल, जितने भी घंटे हैं, हमारे लिए वो तो ग़मगीन हीं गुजरेंगे ना। और फिर इसी दौरान आपको अगर ग़ज़ल की महफ़िल सजानी हो तो माशा-अल्लाह.... आपका तो भगवान हीं मालिक है। हमारी आज की मन:स्थिति सौ फ़ीसदी ऐसी हीं है। समझ नहीं आ रहा कि ह...

रौशन दिल, बेदार नज़र दे या अल्लाह...इसी दुआ के साथ लता दीदी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई

महफ़िल-ए-ग़ज़ल #५१ पाँ च हफ़्तों और दस कड़ियों की माथापच्ची के बाद हम हाज़िर हैं प्रश्न-पहेली के अंकों का हिसाब लेकर। इन प्रश्न-पहेलियों में मुख्यत: ३ लोगों ने हीं भाग लिया(पिछली कड़ी में मंजु जी ने बस एक सवाल का जवाब दिया..इसलिए उन्हें हम मुख्य प्रतिभागियों में नहीं गिनते)। तो ये तीन लोग थे- सीमा जी, शरद जी और शामिख जी। अगर हम ५०वीं कड़ी के अंकों को छोड़ दें तो अंकों का गणित कुछ यूँ बनता था: सीमा जी: २९.५, शरद जी: १८, शामिख जी: १० अंक। तब तक यह ज़ाहिर हो चुका था कि सीमा जी हार नहीं सकतीं और पहली विजेता वहीं हैं। शरद जी और शामिख जी के बीच ८ अंकों का फ़र्क था। और इतनी दूरी को पाटने के लिए कोई चमत्कार की हीं जरूरत थी। ५०वीं कड़ी में हमने जब बोनस प्रश्न और बोनस अंक(५ अंक) जोड़ा तब भी हमें यह ख्याल नहीं था कि इसके सहारे कोई कमाल हो सकता है। लेकिन शामिख जी छुपे रूस्तम साबित हुए। उन्होंने अपना तुरूप का इक्का तभी इस्तेमाल किया जब उसकी जरूरत थी। हर बारे दूसरे या तीसरे स्थान पर आने वाले शामिख साहब इस बार महफ़िल में सबसे पहले हाज़िर हुए। उन्होंने न सिर्फ़ नियमित प्रश्नों के सही जवाब दिये बल्कि ब...

उल्फ़त की नई मंज़िल को चला....... महफ़िल में इक़बाल बानो और क़तील एक साथ

महफ़िल-ए-ग़ज़ल #३४ १८वें एपिसोड में हमने आपको " तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे " सुनवाया था जिसे अपनी पुरकशिश आवाज़ से रंगीन किया था मोहतरमा "इक़बाल बानो" ने। उस एपिसोड के ९ एपिसोड बाद यानी कि २७ वें एपिसोड में हम लेकर आए थे " मोहे आई न जग से लाज, मैं इतनी जोर से नाची आज कि घुंघरू टूट गए "। यूँ तो उस नज़्म में आवाज़ थी "रूना लैला" की लेकिन जिसकी कलम ने उस कलाम को शिखर तक पहुँचाया उस शख्स का नाम था "क़तील शिफ़ाई"। तो हाँ आज हम इ़क़बाल बानो और क़तील शिफ़ाई की मिलीजुली मेहनत को सलाम करने के लिए जमा हुए हैं। हम आज जो गज़ल लेकर हाज़िर हुए हैं उसकी फ़रमाईश श्री शरद तैलंग जी ने की थी। जानकारी के लिए बता दें कि अगली कड़ी में हम दिशा जी की फ़रमाईश की हीं गज़ल प्रस्तुत करेंगे। अब चूँकि उनकी गज़लों की फ़ेहरिश्त हमें देर से हासिल हुई, इसलिए वक्त लगना लाजिमी है। आज की गज़ल इसलिए भी खास है क्योंकि टिप्पणियों के माध्यम से कई बार शरद जी इसकी खूबसूरती का ज़िक्र कर चुके हैं। इतना होने के बावजूद हम इस गज़ल को टालने की सोच रहे थे क्योंकि इक़बाल बानो और ...

इश्क ने ऐसा नचाया कि घुंघरू टूट गए........"लैला" की महफ़िल में "क़तील"

महफ़िल-ए-ग़ज़ल #२७ धी रे-धीरे महफ़िल में निखार आने लगा है। भले हीं पिछली कड़ी में टिप्पणियाँ कम थीं,लेकिन इस बात की खुशी है कि इस बार बस "शरद" जी ने हीं भाग नहीं लिया, बल्कि "दिशा" जी ने भी इस मुहिम में हिस्सा लेकर हमारे इस प्रयास को एक नई दिशा देने की कोशिश की। "दिशा" जी ने न केवल अपनी सहभागिता दिखाई, बल्कि "शरद" जी से भी पहले उन्होंने दोनों सवालों का जवाब दिया और सटीक जवाब दिया, यानी कि वे ४ अंकों की हक़दार हो गईं। "शरद" जी को उनके सही जवाबों के लिए ३ अंक मिलते हैं। इस तरह "शरद" जी के हुए ७ अंक और दिशा जी के ४ अंक। "शरद" जी, आपने "इक़बाल बानो" की जिस गज़ल की बात की है, अगर संभव हुआ तो आने वाले दिनों में वह गज़ल हम आपको जरूर सुनवाएँगे। चूँकि किसी तीसरे इंसान ने अपने दिमागी नसों पर जोर नहीं दिया, इसलिए २ अंकों वाले स्थान खाली हीं रह गए। चलिए कोई बात नहीं, एक एपिसोड में हम ४ अंक से ३ अंक तक पहुँच गए तो अगले एपिसोड यानी कि आज के एपिसोड में हमें २ अंक पाने वाले लोग भी मिल हीं जाएंगे। वैसे "मज़रूह सुल्तानप...