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Showing posts with the label hindi film sangeet
वर्ष २००८ के टॉप ५० हिन्दी फिल्मी गीतों की माला हिन्द-युग्म की आवाज़ टीम ने वर्ष २००८ में रीलिज हुई हिन्दी फिल्मों के श्रेष्ठ ५० गीतों की एक माला बनाई है। इस वार्षिक गीतमाला को बनाने में श्रोताओं की राय भी सम्मलित की गई हैं। गीत चुनते वक़्त इस बात का ध्यान रखा गया है कि ऐसे गीत रखें जायें जिनकी उम्र लम्बी हो। आप भी सुनें और अपने विचार दें॰॰॰ Top 50 Bollywood Songs, Top 50 Hindi Film Songs 2008

वार्षिक गीतमाला से पहले वो गीत वो टॉप ५० में स्थान नही पा सके.

इससे पहले कि हम अपनी वार्षिक गीतमाला का शुभारम्भ करें, कुछ बातें हम साफ़ कर देना चाहेंगें. टॉप ५० गीत को आवाज़ के एक पैनल ने बहुत सोच विचार के बाद चुना है जिसमें मुख्य रूप से चार बातों का ध्यान रखा गया है. गीत का नया पन, गीत की मौलिकता, गीत की रिपीट वैल्यू, और गीत की लोकप्रियता. गौर करें कि गीत की लोकप्रियता इन बताये गए चार घटकों में से एक ही है, अर्थात ये हो सकता है कि कोई गीत बहुत लोकप्रिय होने के बावजूद आपको टॉप ५० से नदारद मिले और कोई गीत बहुत कम सुना गया हो पर अपनी मौलिकता, नयेपन, लंबे समय तक सुने जा सकने की योग्यता के दम पर इस सूची में स्थान प्राप्त कर पाने में सफल रहा हो. गीतों की अन्तिम सारणी हमने अपने सुधी श्रोताओं के वोटिंग के आधार पर निर्धारित की है. अन्तिम दिन टॉप १० गीतों के साथ साथ हम अपने श्रोताओं को वर्ष के ५ गैर फिल्मी गीत भी सुनवायेंगे. पर इससे पहले कि हम अपने टॉप ५० की तरफ़ बढ़ें सुन लेते हैं १० ऐसे गीत जो पिछले साल बेहद मकबूल हुए पर हमारे टॉप ५० में स्थान नही बना सके. १०. टल्ली - अगली और पगली - पिछले साल ये गीत खूब बजा पर न तो गाने में कोई नयापन है न ही रिपीट वैल्यू. ...

कोई ना रोको दिल की उड़ान को...

लता संगीत उत्सव की नई प्रस्तुति प्रस्तावना: लता दीदी को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएँ। लता दीदी की प्रसंशा में बहुत कुछ कहा गया है। फिर भी तारीफें अधूरी लगती हैं। मैंने दीदी के लिए सही शब्द ढूँढ़ने की कोशिश की तो शब्दकोष भी सोच में पड़ गया। कहते है, "लोग तमाम ऊँचाइयों तक पहुँचे हैं...पर जिस मुकाम तक लताजी पहुँची हैं...वहाँ तक कोई नहीं पहुँच सकता..." दीदी से रु-ब-रु होने का सौभाग्य तो अब तक प्राप्त नहीं हुआ, पर दीदी के गीत हमेशा साथ रहते है। लता दीदी वो कल्पवृक्ष हैं जो रंग-बिरंगी मीठे मधुर मनमोहक गीत-रूपी फूल बिखीरती रहती है. दीदी के देशभक्ति गीत सुनकर हौसले बुलंद होते हैं, अमर गाथा सुनकर आखों में पानी भर आता है, लोरी सुन कर ममता का एहसास होता है, खुशी के गीत सुनकर दिल को सुकून मिलता है, दर्द-भरे नगमे दिल की गहराई को छू जाते हैं, भजन सुनकर भक्ति भावना अपने शिखर तक पहुँचती है, और प्रेम गीत सुनकर लगता है जैसे प्रेमिका गा रही हो. जब भी लताजी के गीत सुनता हूँ तो मेरा दिल तो कहने लगता है ... "आज फिर जीने की तम्मना है, आज फिर मरने का इरादा है..." "कोई ना रोको द...

लता संगीत उत्सव ( २ ) - लावण्या शाह

आज भी कहीं कुरमुरा देख लेतीं हैं उसे मुठ्ठी भर खाए बिना वे आगे नहीं बढ़ पातीं.. लता संगीत उत्सव की दूसरी कड़ी के रूप में हम आज लेकर आए हैं, लता जी की मुंहबोली छोटी बहन और मशहूर कवि गीतकार, स्वर्गीय श्री पंडित नरेन्द्र शर्मा (जिन्होंने नैना दीवाने, ज्योति कलश छलके, और सत्यम शिवम् सुन्दरम जैसे अमर गीत रचे हैं) की सुपुत्री, लावण्या शाह का यह आलेख - पापाजी और दीदी, २ ऐसे इंसान हैं जिनसे मिलने के बाद मुझे ज़िंदगी के रास्तों पे आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा मिली है - सँघर्ष का नाम ही जीवन है। कोई भी इसका अपवाद नहीं- सत्चरित्र का संबल, अपने भीतर की चेतना को प्रखर रखे हुए किस तरह अंधेरों से लड़ना और पथ में कांटे बिछे हों या फूल, उनपर पग धरते हुए, आगे ही बढ़ते जाना ये शायद मैंने इन २ व्यक्तियों से सीखा। उनका सानिध्य मुझे ये सिखला गया कि अपने में रही कमजोरियों से किस तरह स्वयं लड़ना जरुरी है- उनके उदाहरण से हमें इंसान के अच्छे गुणों में विश्वास पैदा करवाता है। पापा जी का लेखन,गीत, साहित्य और कला के प्रति उनका समर्पण और दीदी का संगीत, कला और परिश्रम करने का उत्साह, मुझे बहुत बड़ी शिक्षा दे गया। उन दो...