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जितनी सुरीली हैं ग़ालिब की ग़ज़लें; गाने में दोगुना तप मांगती हैं

आज एक बार फ़िर आवाज़ पर हमारे प्रिय संगीत समीक्षक और जानेमाने चिट्ठाकार संजय पटेल तशरीफ़ लाए हैं और बता रहे हैं लता मंगेशकर की गायकी की कुछ अदभुत ख़ासियतें.हमें उम्मीद है कि इस पोस्ट को पढ़कर संगीत विषय से जुड़े विद्यार्थी,गायक,संगीतकार बहुत लाभान्वित होंगे.आशा है आवाज़ पर जारी सुगम समारोह में सुनी और सराही जा रही ग़ालिब की ग़ज़लों का आनंद बढ़ाने वाली होगी संजय भाई की ये समीक्षा.मुलाहिज़ा फ़रमाएँ...... एक बात को तो साफ़ कर ही लेना चाहिये कि लता मंगेशकर अपने समय की सबसे समर्थ गायिका हैं.मीरा के भजन,डोगरी,मराठी,गुजराती,और दीगर कई भाषाओं के लोकगीत,भावगीत,भक्तिगीत और सुगम संगीत गाती इस जीवित किंवदंती से रूबरू होना यानी अपने आपको एक ऐसे सुखद संसार में ले जाना है जहाँ सुरों की नियामते हैं और संगीत से उपजने वाले कुछ दिव्य मंत्र हैं जो हमारे मानस रोगों और कलुष को धो डालने के लिये इस सृष्टि में प्रकट हुआ हैं. लता मंगेशकर के बारे में गुलज़ार कहते हैं कि लताजी के बारे में कोई क्या कह सकता है.उनके बारे में कोई बात करने की ज़रूरत ही नहीं है बल्कि उनको एकाग्र होकर सुनने की ज़रूरत है. उनके गायन के ब

ग़ालिब का कलाम और लता का अंदाज़ - क़यामत

लता संगीत उत्सव की एक और पेशकश - लता सुगम समारोह, पढ़ें और सुनें संजय पटेल की कलम का और लता की आवाज़ का जादू 28 सितम्बर तक लता मंगेशकर की ग़ैर-फ़िल्मी रचनाओं के इस सुगम समारोह में. लता मंगेशकर इस बरस पूरे ८० बरस की हो जाएंगी.सुरों की इस जीती-जागती किंवदंती का हमारे बीच होना हम पर क़ुदरत का एक अहसान है.आवाज़ के आग्रह पर हमारे चिर-परिचित संगीत समीक्षक श्री संजय पटेल ने हमारे लिये लताजी की कुछ ग़ैर-फ़िल्मी रचनाएँ,जिनमें ज़्यादातर उर्दू महाकवि ग़ालिब की ग़ज़लें शुमार हैं पर विशेष समीक्षाएँ की हैं .लताजी की इन रचनाओं पर संजय भाई २८ सितम्बर तक नियमित लिखेंगे. लता मंगेशकर द्वारा स्वरबध्द और पं.ह्र्दयनाथ मंगेशकर द्वारा संगीतबध्द ग़ालिब की रचनाओं को सुनना एक चमत्कारिक अनुभव है. आज संगीत में जिस तरह का शोर बढ़ता जा रहा है उस समय में इन क्लासिकी ग़ज़लों को सुनना किसी रूहानी अहसास से गुज़रना है. चूँकि यह प्रस्तुतियाँ सुगम संगीत की अनमोल अमानत हैं; हमने इसे लता सुगम समारोह नाम दिया है...... आइये आज से प्रारंभ करते हैं लता सुगम समारोह. उम्मीद है आवाज़ की ये सुरीली पेशकश आपको पंसद आएगी. दुर्लभ रचनाओं