तकनीकी दौर में कवि सम्मेलन का एक रूप यह भी रश्मि प्रभा खुश्बू रश्मि प्रभा पिछले 6 महीने से हिन्द-युग्म के विशेष कार्यक्रम पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का संचालन कर रही हैं। रश्मि अपनी मातृभाषा हिन्दी से बहुत स्नेह रखती हैं। शायद इसीलिए इन्होंने इच्छा जाहिर की कि अक्टूबर 2009 का कवि सम्मेलन 'हिन्दी' विषय पर आयोजित किया जाये ताकि इसी माध्यम से हिन्दी भाषा की स्थिति, इसे बोलने वालों की अपनी भाषा के प्रति सरोकार और प्रतिबद्धता का जायजा लिया जा सके। दुनिया की लाखों बोलियों और हज़ारों भाषाओं पर विलुप्त होने का संकट मंडरा रहा है। बाज़ार के इस समय में बिकने और बेचने वाली वस्तुओं का मोल है। इसलिए हिन्दी जहाँ बाज़ार का हिस्सा है, वहाँ फल-फूल रही है। इस दुनिया में नैतिकता, कर्तव्य-बोध के नाम पर किसी भी चीज़ को जिंदा नहीं रखा जा सकता, इसलिए पुस्तकों में भाषा को माँ जैसा स्थान मिलने के बावजूद हिन्दी को वर्तमान पीढ़ी में नहीं रोंपा जा सका है। रोंपा भी कैसे जाये- अब तो शुभकामनाओं के बाज़ार में भी देवनागरी की दुकान नहीं है। खैर, हम इसमें ख़ाहमख़ाह उलझ रहे हैं। आइए कवि-उद्गारों से सजी इस महफिल में कोन...