Skip to main content

Posts

Showing posts with the label carnatic sangeet

स्वर और सुर की देवी - एम एस सुब्बलक्ष्मी

"जब एक बार हम अपनी कला और भक्ति से भीतर की दिव्यता से सामंजस्य बिठा लेते हैं, तब हम इस शरीर के बाहर भी प्रेम और करुणा का वही रूप देख पाते हैं...कोई भी भक्त जब इस अवस्था को पा लेता है सेवा और प्रेम उसका जीवन मार्ग बन जाना स्वाभाविक ही है." ये कथन थे स्वरों की देवी एम् एस सुब्बलक्ष्मी के जिन्हें लता मंगेशकर ने तपस्विनी कहा तो उस्ताद बड़े गुलाम अली खान साहब ने उन्हें नाम दिया सुस्वरलक्ष्मी का, किशोरी अमोनकर ने उन्हें सातों सुरों से उपर बिठा दिया और नाम दिया - आठवाँ सुर. पर हर उपमा जैसे छोटी पड़ जाती है देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित पहली संगीत से जुड़ी हस्ती के सामने. संगीत जोगन एम् एस सुब्बलक्ष्मी पद्मा भूषण, संगीत नाटक अकेडमी सम्मान, कालिदास सम्मान जैसे जाने कितने पुरस्कार पाये जीवन में पर प्राप्त सभी सम्मान राशिः को कभी अपने पास नही रखा, सामाजिक सेवाओं से जुड़े कामो के दान कर दिया.शायद उनके लिए संगीत से बढ़कर कुछ भी नही था. united nation में हुआ उनका कंसर्ट एक यादगार संगीत आयोजन माना जाता है. १६ सितम्बर १९१६ में जन्मीं सुब्बलक्ष्मी जी का बचपन भी संगीतमय रहा. मदु...