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बातों बातों में - INTERVIEW OF LYRICIST ANAND BAKSHI'S SON RAKESH BAKSHI

  बातों बातों में - 04  गीतकार आनन्द बक्शी के पुत्र राकेश बक्शी से  सुजॉय चटर्जी की लम्बी बातचीत "ज़िन्दगी के सफ़र में..."  नमस्कार दोस्तों! हम रोज़ फ़िल्म के परदे पर नायक-नायिकाओं को देखते हैं, रेडियो-टेलीविज़न पर गीतकारों के लिखे गीत गायक-गायिकाओं की आवाज़ों में सुनते हैं, संगीतकारों की रचनाओं का आनन्द उठाते हैं। इनमें से कुछ कलाकारों के हम फ़ैन बन जाते हैं और मन में इच्छा जागृत होती है कि काश इन चहेते कलाकारों को थोड़ा क़रीब से जान पाते! काश इनकी ज़िन्दगियों के बारे में कुछ मालूमात हो जाती! काश इनके फ़िल्मी सफ़र की दास्ताँ के हम भी हमसफ़र हो जाते! ऐसी ही इच्छाओं को पूरा करने के लिए 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' ने बीड़ा उठाया है फ़िल्मी कलाकारों से साक्षात्कार करने का। फ़िल्मी अभिनेताओं, गीतकारों, संगीतकारों और गायकों के साक्षात्कारों पर आधारित यह श्रॄंखला है 'बातों बातों में', जो प्रस्तुत होता है हर महीने के चौथे शनिवार के दिन। आज जनवरी 2014 के चौथे शनिवार के दिन प्रस्तुत है फ़िल्म जगत के सुप्रसिद्ध गीतकार आनन्द बक्शी साहब के बेटे राकेश बक्शी

ओल्ड इज़ गोल्ड - शनिवार विशेष - 43 - बेटे राकेश बक्शी की नज़रों में गीतकार आनंद बक्शी

नमस्कार! 'ओल्ड इज़ गोल्ड शनिवार विशेष' में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है। दोस्तों, पिछले तीन हफ़्तों से इसमें हम आप तक पहुँचा रहे हैं फ़िल्म जगत के सफलतम गीतकारों में से एक, आनन्द बक्शी साहब के सुपुत्र राकेश बक्शी से की हुई बातचीत पर आधारित लघु शृंखला 'बेटे राकेश बक्शी की नज़रों में गीतकार आनन्द बक्शी'। इस शृंखला की पिछली तीन कड़ियाँ आप नीचे लिंक्स पर क्लिक करके पड्ज़ सकते हैं। भाग-१ भाग-२ भाग-३ आइए आज प्रस्तुत है इस ख़ास बातचीत की चौथी व अंतिम कड़ी। सुजॉय - नमस्कार राकेश जी, और फिर एक बार स्वागत है 'हिंद-युग्म' के 'आवाज़' मंच पर। राकेश जी - नमस्कार! सुजॉय - पिछले सप्ताह हमारी बातचीत आकर रुकी थी बक्शी साहब के गाये गीत पर, "बाग़ों में बहार आई"। बात यहीं से आगे बढ़ाते हैं, क्या कहना चाहेंगे बक्शी साहब के गायन प्रतिभा के बारे में? राकेश जी - बक्शी जी को गायन से प्यार था और अपने आर्मी और नेवी के दिनों में अपने साथियों को गाने सुना कर उनका मनोरंजन करते थे। और आर्मी में रहते हुए ही उनके साथियों नें उनको गायन के लिये प्रोत्साहित किया। उन साथियों नें

ओल्ड इज़ गोल्ड - शनिवार विशेष - 42 - बेटे राकेश बक्शी की नज़रों में गीतकार आनंद बक्शी

अब तक आपने पढ़ा भाग १ भाग २ नमस्कार! 'ओल्ड इज़ गोल्ड शनिवार विशेष' में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है। दोस्तों, शनिवार की इस ख़ास प्रस्तुति को पिछले दो हफ़्तों से हम ख़ास बना रहे हैं फ़िल्म जगत के सुप्रसिद्ध गीतकार आनंद बक्शी के बेटे राकेश बक्शी के साथ बातचीत कर। पिछली दो कड़ियों में आपनें जाना कि किस तरह का माहौल हुआ करता था बक्शी साहब के घर का, कैसी शिक्षा/अनुशासन उन्होंने अपने बच्चों को दी, उनकी जीवन-संगिनी नें किस तरह का साथ निभाया, और भी कई दिल को छू लेने वाली बातें। आइए बातचीत के उसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हैं। प्रस्तुत है शृंखला 'बेटे राकेश बक्शी की नज़रों में गीतकार आनंद बक्शी' की तीसरी कड़ी। सुजॉय - राकेश जी, नमस्कार! मैं, हिंद-युग्म की तरफ़ से आपका फिर एक बार स्वागत करता हूँ। राकेश जी - नमस्कार! सुजॉय - राकेश जी, आज सबसे पहले तो मैं आपको यह बता दूँ कि यह जो हमारी और आपकी बातचीत चल रही है, यह हमारे पाठकों को बहुत पसंद आ रही है। और यही नहीं, इसकी इंटरव्यु की चर्चा मीडिया तक पहुँच चुकी है। पिछले सोमवार को 'हिंदुस्तान' अखबार में इसके कुछ अंश प्रकाशित हुए थे। यह हमार

ओल्ड इज़ गोल्ड - शनिवार विशेष - (41) बेटे राकेश बख्शी की नज़रों में गीतकार आनन्द बख्शी - भाग २

इस बातचीत का पहला भाग यहाँ पढ़ें ((भाग-2)) नमस्कार! 'ओल्ड इज़ गोल्ड शनिवार विशेष' में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है। दोस्तों, पिछले हफ़्ते से हमनें इस विशेषांक में शुरु की है एक लघु शृंखला 'बेटे राकेश बख्शी की नज़रों में गीतकार आनन्द बख्शी'। पिछले हफ़्ते अगर आपनें इसका पहला भाग नहीं पढ़ा था तो यहाँ क्लिक कर उसे अवश्य पढ़ें। आइए आज प्रस्तुत है बक्शी साहब के बेटे राकेश बख्शी से हमारी बातचीत का दूसरा भाग। सुजॉय - राकेश जी, नमस्कार और एक बार फिर स्वागत है आपका 'हिंद-युग्म' में। राकेश जी - नमस्कार! सुजॉय - पिछले हफ़्ते हमारी बातचीत आकर रुकी थी 'माँ' पर। आपनें बताया कि किस तरह से बक्शी साहब नें आप सब को माँ की अहमियत बतायी। आज बातचीत का सिलसिला वहीं से आगे बढ़ाते हैं। आज हम आपकी माँ से चर्चा शुरु करना चाहेंगे, क्योंकि हमारा ख़याल है कि उनके सहयोग के बिना आनन्द बक्शी साहब शायद यह मुकाम हासिल न कर पाते। किसी की सफलता के पीछे उसके जीवन-संगिनी का बड़ा हाथ होता है। तो बताइए न बक्शी साहब की जीवन-संगिनी, यानी आपकी माताजी के बारे में। राकेश जी - शादी के बाद पिताज