ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 70 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' की ७०-वीं कड़ी में आप सभी का स्वागत है। सुरीले फ़िल्म संगीत का यह सफ़र पिछले ७० दिनो से चला आ रहा है और आप भी इसमें पूरी तरह से हिस्सेदारी निभा रहे हैं जिस वजह से हमें भी रोज़ नयी ऊर्जा मिल रही है बेहतर से बेहतर गाने और उनसे संबंधित जानकारियाँ खोजने में। कभी कभी जब जानकारियों में कुछ गड़बड़ हो जाती है तो आप उसका सुधार भी कर देते हैं जिसके लिए हम आप के तह-ए-दिल से आभारी हैं। आगे भी आप हमारा इसी तरह से मार्ग-दर्शन करते रहेंगे ऐसा हमारा विश्वास है। तो चलिये इसी बात पर अब हम आते हैं आज के गाने पर। दोस्तों, कुछ दिन पहले हमने 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में आपको एक गीत सुनवाया था लता मंगेशकर और तलत महमूद का गाया हुआ फ़िल्म 'मौसी' का - "टिम टिम टिम तारों के दीप जले नीले आकाश तले"। याद है न आपको? इस गीत को भरत व्यास ने लिखा था और संगीत था वसंत देसाई का। आज इस गीत से मिलता-जुलता एक और गीत हम लेकर आये हैं, इसे भी लताजी और तलत साहब ने गाया है और संगीत भी एक बार फिर वसंत देसाई साहब का है। बस गीतकार भरत व्यास के जगह आ गये हैं कवि