स्वरगोष्ठी – ७३ में आज जिनके वाद्यवृन्द का सारा विश्व दीवाना हुआ भारतीय पारसी परिवार में एक समर्पित वायलिन-वादक के घर जन्में जुबीन मेहता को उनके पिता ने किशोरावस्था में जब संगीत शिक्षा के लिए पुणे भेजा तो उनका मन क्रिकेट खेलने में अधिक लगता था। अपने पुत्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए पिता ने एक और प्रयास किया। इस बार जुबीन को सेण्ट ज़ेवियर कालेज में प्रवेश दिलाया गया, ताकि बेटा चिकित्सक बन सके। परन्तु पढ़ाई अधूरी छोड़कर वे संगीत के क्षेत्र में पुनः वापस लौट आए। ‘स्व रगोष्ठी’ के एक नए अंक के साथ मैं, कृष्णमोहन मिश्र, आपकी गोष्ठी में पुनः उपस्थित हूँ और आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज के अंक में पाश्चात्य संगीत के एक ऐसे भारतीय कलासाधक की चर्चा करेंगे, जिसके संगीत कार्यक्रमों ने कई दशकों से पूरे विश्व को दीवाना बना रखा है। जुबीन मेहता का जन्म २९ अप्रैल, १९३६ को तत्कालीन बम्बई के एक पारसी परिवार में हुआ था। जुबीन की माँ का नाम तेहमिना और पिता का नाम मेहली मेहता है। मेहली मेहता एक समर्पित संगीत-सेवी थे, जिन्होने अपने परिवार को एक चुनौती सी देते हुए वायलिन-वादक बनाना पसन्द किया। जुबीन...