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राग सोहनी : SWARGOSHTHI 453 : RAG SOHANI

सभी पाठकों को गणतन्त्र दिवस पर असंख्य मंगलकामना स्वरगोष्ठी – 453 में आज मारवा थाट के राग 2 : राग सोहनी पण्डित उल्हास कशालकर से सोहनी में खयाल और उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ से फिल्म “मुगल-ए-आज़म” का गीत सुनिए उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ पण्डित उल्हास कशालकर “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी नई श्रृंखला “मारवा थाट के राग” की दूसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार उस समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं,