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गीत अतीत 25 || हर गीत की एक कहानी होती है || कहना ही क्या || बोम्बे || महबूब || ऐ आर रहमान || के एस चित्रा

Geet Ateet 25 Har Geet Kii Ek Kahaani Hoti Hai... (Silver Jubilee Episode) Kehna Hi Kya Bombay Mehboob  Also featuring A R Rahman & K S Chitra " मणि सर ने जैसे मेरा चेहरा पढ़ लिया था, पूछने लगे महबूब क्या बात है , क्या तुम गाने से खुश नहीं हो ? " -    महबूब   गीत अतीत ; हर गीत की एक कहानी होती है के इस सिल्वर जुबली एपिसोड में पेश है सदाबहार क्लासिक गीत "कहना ही क्या" के बनने की ऐसी दिलचस्प दास्ताँ जिससे बहुत कम ही संगीत प्रेमी वाकिफ होंगें. लीजेंडरी गीतकार महबूब साहब आज हैं हमारे मेहमान. जानिए क्यों हम मनीषा कोइराला को इस गीत में थिरकते देखने से वंचित रह जाते अगर महबूब भाई के सुझाव को मणि रत्नम ने नहीं माना होता, प्ले पर क्लिक करे और अभी सुनें... डाउनलोड कर के सुनें  यहाँ  से.... सुनिए इन गीतों की कहानियां भी - ओ रे रंगरेज़ा (जॉली एल एल बी) मैनरलैस मजनूं (रंनिंग शादी डॉट कॉम) रंग (अरविन्द तिवारी, गैर फ़िल्मी सिंगल) हमसफ़र (बदरी की दुल्हनिया) सनशाईन (गैर फ़िल्मी सिंगल) हौले हौले (गैर फ़िल्मी स...

बुल्ले शाह के "रांझा-रांझा" को "रावण" के रंग में रंग दिया रहमान और गुलज़ार ने... साथ है "बीरा" भी

ताज़ा सुर ताल १६/२०१० सुजॊय - ताज़ा सुर ताल' के एक नए अंक के साथ हम सभी श्रोताओं व पाठकों का हार्दिक स्वागत करते हैं। पिछले हफ़्ते किसी कारण से 'टी.एस.टी' की यह महफ़िल सज नहीं पाई थी। दोस्तों, सजीव जी इन दिनों छुट्टियों के मूड में हैं, इसलिए आज मेरे साथ 'ताज़ा सुर ताल' में उनकी जगह पर हैं विश्व दीपक तन्हा जी। विश्व दीपक जी, वैसे तो आप 'आवाज़' में नए नहीं हैं, लेकिन इस स्तंभ में आप पहली बार मेरे साथ हैं। इसलिए मैं आपका स्वागत करता हूँ। विश्व दीपक - शुक्रिया सुजॊय जी! मुझे भी बेहद आनंद आ रहा है इस स्तंभ में शामिल हो कर। वैसे मैं एक बार आपकी अनुपस्थिति में फ़िल्म 'रण' के गीत संगीत की चर्चा कर चुका हूँ इसी स्तंभ में। इसलिए यह कह सकते हैं कि यह दूसरी मर्तबा है कि मैं इस स्तंभ में शामिल हूँ बतौर होस्ट और जिस तरह का सजीव जी का मूड है, उस हिसाब से मुझे लगता है कि अगले एक-डेढ महीने तक मैं आपके साथ रहूँगा। खैर यह बताईये कि आज किस फ़िल्म के संगीत की चर्चा करने का इरादा है? सुजॊय - देखिए इन दिनों जिन फ़िल्मों के प्रोमोज़ और गीतों की झलकियाँ दिखाई व सुनाई दे रहीं...

वो जिसने हिन्दी फ़िल्म संगीत की तस्वीर ही बदल दी...- ए आर रहमान.

बात १९९१ की है। तमिल फिल्म इंडस्ट्री के बेहतरीन निर्देशक मणिरत्नम और बेहतरीन संगीतकार इल्लैया राजा की वर्षों पुरानी जोड़ी टूट चुकी थी। मणिरत्नम एक नए और फ्रेश संगीतकार की खोज में थे। हर साल की तरह उस साल भी मणिरत्नम का एक जानेमाने अवार्ड फंक्शन में जाना हुआ। समारोह शुरू होने से पहले वहाँ कुछ ऎड जिंगल्स (ad jingles) प्ले हो रहे थे। मणिरत्नम धुनों से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने उस संगीतकार के कुछ और गानों की फरमाईश की। धुनों का असर बढता गया। समारोह के बाद मणिरत्नम उस संगीतकार के म्युजिक रिकार्डिंग स्टुडियो भी गए। उस गुमनाम संगीतकार ने अपना एक पुराना गीत मणिरत्नम को सुनाया, जिसे उसने बरसों पहले "कावेरी विवाद" के सिलसिले में तैयार किया था। मणिरत्नम ने तनिक भी देर न करते हुए, अपनी नई फिल्म के लिए इस गीत की माँग कर दी और साथ हीं साथ इस नए-से संगीतकार को साईन भी कर लिया। वह मकबूल फिल्म थी "बालचंदर्स कवितालय" की "रोज़ा", वह गाना था " तमिज़ा तमिज़ा ", जो हिंदी में अनुवादित होकर हुआ "भारत हमको जान से प्यारा है" और वह अनजाना सा संगीत-दिग्दर्शक था ...