स्वरगोष्ठी – 189 में आज      फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – 8 : ठुमरी पीलू और देस        एकल और युगल रूप में श्रृंगार रस से परिपूर्ण ठुमरी ‘गोरी तोरे नैन काजर बिन कारे...’            ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के  साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी साथी  प्रस्तुतकर्त्ता संज्ञा टण्डन के साथ आप सब संगीत-प्रेमियों का अभिनन्दन  करता हूँ। इन दिनों हमारी जारी श्रृंखला 'फिल्मों के आँगन में ठुमकती  पारम्परिक ठुमरी’ के आठवें अंक में आज हमने एक ऐसी पारम्परिक ठुमरी का चयन  किया है, जिसे कई सुविख्यात गायक-गायिकाओं ने गाया है। इस ठुमरी को एकल और  युगल, दोनों रूप में प्रस्तुत किया गया है। आमतौर पर ठुमरी एकल रूप में ही  गायी जाती है। परन्तु नृत्य-प्रस्तुतियों में या युगल कलाकारों की  प्रस्तुतियों में ठुमरी का युगल गायन भी परिलक्षित होता है। इस श्रृंखला  में आप कुछ ऐसी पारम्परिक ठुमरियों का रसास्वादन भी कर रहे हैं जिन्हें  फिल्मों में कभी यथावत तो कभी परिवर्तित अन्तरे के साथ इस्तेमाल किया गया।  फिल्मों मे शामिल ऐसी ठुमरियाँ अधिकतर पार...
