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कहीं "मादनो" की मिठास से तो कहीं "मैं कौन हूँ" के मर्मभेदी सवालों से भरा है "मिथुन" के "लम्हा" का संगीत

ताज़ा सुर ताल २२/२०१० विश्व दीपक - ’ताज़ा सुर ताल' में हम सभी का स्वागत करते हैं। तो सुजॊय जी, पिछले हफ़्ते कोई फ़िल्म देखी आपने? सुजॊय - हाँ, 'राजनीति' देखी, लेकिन सच पूछिए तो निराशा ही हाथ लगी। कुछ लोगों को यह फ़िल्म पसंद आई, लेकिन मुझे तो फ़िल्म बहुत ही अवास्तविक लगी। सिर्फ़ बड़ी स्टारकास्ट के अलावा कुछ भी ख़ास बात नहीं थी। कहानी भी बेहद साधारण। ख़ैर, पसंद अपनी अपनी, ख़याल अपना अपना। विश्व दीपक - पसंद की अगर बात है तो आज हम 'टी.एस.टी' में जिस फ़िल्म के गानें लेकर हाज़िर हुए हैं, मुझे ऐसा लगता है कि इस फ़िल्म के गानें लोगों को पसंद आने वाले हैं। आज ज़िक्र फ़िल्म 'लम्हा' के गीतों का। सुजॊय - 'लम्हा' बण्टी वालिया व जसप्रीत सिंह वालिया की फ़िल्म है जिसमें मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं संजय दत्त, बिपाशा बासु, कुणाल कपूर, अनुपम खेर ने। निर्देशक हैं राहुल ढोलकिया। संगीत दिया है मिथुन ने, और यह फ़िल्म परदर्शित होने वाली है १६ जुलाई के दिन, यानी कि ठीक एक महीने बाद। जैसा समझ में आ रहा है कि कश्मीर के पार्श्व पर यह फ़िल्म आधारित है। इस फ़िल्म का म्युज़िक लौम्च ...

"इश्किया" विशाल और गुलज़ार ने दिया नया संगीतमय तोहफा

ताज़ा सुर ताल ०३/ २०१० सुजॊय - सजीव, यह इस साल के पहले महीने जनवरी का तीसरा 'ताज़ा सुर ताल' है। हमने अब तक इस महीने 'दुल्हा मिल गया', और वीर फ़िल्मों के संगीत की चर्चा की है। इनमें से 'दुल्हा मिल गया' रिलीज़ हो चुकी है, लेकिन फ़िल्म अब तक रफ़्तार नहीं पकड़ पाई है शाहरुख़ ख़ान के होने के बावजूद। सजीव - और सुजॊय, इसी महीने 'प्यार इम्पॊसिबल' और 'चांस पे डांस' भी प्रदर्शित हो चुकी है, लेकिन बहुत ज़्यादा उम्मीदें इनमें भी नज़र नहीं आ रही। बता सकते हो क्या कारण हो सकता है? सुजॊय - मुझे तो यही लगता है कि 'अवतार' और '३ इडियट्स' का नशा अभी तक लोगों के ज़हन से उतरा नहीं है। क्या होता है न कि हब कोई फ़िल्म बहुत ज़्यादा हिट हो जाती है, तो उसके ठीक बाद रिलीज़ होने वाली फ़िल्में कुछ हद तक उसकी चपेट में आ ही जाते हैं। अच्छा सजीव, इससे पहले कि हम आज के फ़िल्म की बातें शुरु करें, क्यों न आप जल्दी जल्दी 'प्यार इम्पॊसिबल' और 'चांस पे डांस' के म्युज़िक के बारे में हमारे पाठकों को एक हल्का सा आभास करा दें! सजीव - ज़रूर! देखो सुजॊय, ...

कहने को हासिल सारा जहाँ था...

दूसरे सत्र के १० वें गीत और उसके विडियो का विश्वव्यापी उदघाटन आज. चलते चलते हम संगीत के इस नए सत्र की दसवीं कड़ी तक पहुँच गए, अब तक के हमारे इस आयोजन को श्रोताओं ने जिस तरह प्यार दिया है, उससे हमारे हौसले निश्चित रूप से बुलंद हुए है. तभी शायद हम इस दसवें गीत के साथ एक नया इतिहास रचने जा रहे हैं, आज ये नया गीत न सिर्फ़ आप सुन पाएंगे, बल्कि देख भी पाएंगे, यानि "खुशमिजाज़ मिट्टी" युग्म का पहला गीत है जो ऑडियो और विडियो दोनों रूपों में आज ओपन हो रहा है. सुबोध साठे की आवाज़ से हमारे, युग्म के श्रोता बखूबी परिचित हैं, लेकिन अब तक उन्होंने दूसरे संगीतकारों, जैसे ऋषि एस और सुभोजित आदि के लिए अपनी आवाज़ दी है, पर हम आपको बता दें, सुबोध ख़ुद भी एक संगीतकार हैं और अपनी वेब साईट पर दो हिन्दी और एक मराठी एल्बम ( बतौर संगीतकार/ गायक ) लॉन्च कर चुके हैं, युग्म के लिए ये उनका पहला स्वरबद्ध गीत है, जाहिर है आवाज़ भी उनकी अपनी है, संगीत संयोजन में उनका साथ निभाया है, पुणे के चैतन्य अड़कर ने. गीतकार हैं युग्म के एक और प्रतिष्टित कवि, गौरव सोलंकी, जिनका अंदाज़ अपने आप में सबसे जुदा है, तो आनंद लें...

इस बार, नज़रों के वार, आर या पार...

दूसरे सत्र के नवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज. इन्टरनेट गठजोड़ का एक और ताज़ा उदाहरण है ये नया गीत, IIT खड़कपुर के छात्र ( आजकल पुणे में कार्यरत ), और हिंद युग्म के बेहद मशहूर कवि विश्व दीपक 'तनहा' ने अपना लिखा गीत भेजा, युग्म के सबसे युवा संगीतकार सुभोजित को, और जब गीत को आवाज़ दी दूर ब्रिस्टल (UK) में बैठे गायक बिस्वजीत ने, तो बना, सत्र का नवां गीत. " आवारा दिल ", सुभोजित के ये दूसरा गीत है, वहीँ " जीत के गीत " गाते, बिस्वजीत अब युग्म के चेहेते गायक बन चुके हैं, तनहा का ये पहला गीत है, इस आयोजन में, जिनका कहना है - "प्रेयसी सब को प्रिय होती है,परंतु जिसकी प्रेयसी हो हीं नहीं,उसके लिए तो प्रेयसी कुछ और हीं हो जाती है। यह गीत मुझ जैसे हीं एक अनजान प्रेमी की कहानी है,जो जानता नहीं कि उसकी प्रेयसी कहाँ है, लेकिन यह जानता है कि अगर उसकी प्रेयसी कहीं है तो वो उसका आग्रह अस्वीकार नहीं कर सकती। "सरकार" अपनी प्रजा का बुरा तो नहीं चाहेगी ना ;),वैसे भी वह दूर कैसे जा सकेगी, जबकि उस प्रेमी का हर कदम अपनी प्रेयसी की हीं ओर है।" तो दोस्तों, इस दु...

चले जाना कि रात अभी बाकी है...

दूसरे सत्र के आठवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज आठवीं पेशकश के रूप में हाज़िर है सत्र की दूसरी ग़ज़ल, " पहला सुर " में "ये ज़रूरी नही" ग़ज़ल गाकर और कविताओं का अपना स्वर देकर, रुपेश ऋषि , पहले ही एक जाना माना नाम बन चुके हैं युग्म के श्रोताओं के लिए. शायरा हैं एक बार फ़िर युग्म में बेहद सक्रिय शिवानी सिंह . शिवानी मानती हैं, कि उनकी अपनी ग़ज़लों में ये ग़ज़ल उन्हें विशेषकर बहुत पसंद हैं, वहीँ रुपेश का भी कहना है -"शिवानी जी की ये ग़ज़ल मेरे लिए भी बहुत मायने रखती थी ,क्योंकि ये उनकी पसंदीदा ग़ज़ल थी और वो चाहती थी कि ये ग़ज़ल बहुत इत्मीनान के साथ गायी जाए, मुझे लगता है कि कुछ हद तक मैं, उनकी उम्मीद पर खरा उतर पाया हूँ, बाकी तो सुनने वाले ही बेहतर बता पाएंगे". तो आनंद लें इस ग़ज़ल का और अपने विचारों से हमें अवगत करायें. इस ताज़ी ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें- The team of "ye zaroori nahi" from " pahla sur " is back again with a bang. Rupesh Rishi is once again excellent here with his rendering as well as composition, While Shi...

जीत के गीत संग, मनाएं जश्न -ऐ- आज़ादी

दूसरे सत्र के सातवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज. सभी संगीत प्रेमियों को आज़ाद भारत की ६१ वीं सालगिरह मुबारक. कुछ तो है बात जो, हस्ती मिटती नही हमारी, सदियों रहा है दुश्मन, दौरे जहाँ हमारा. महंगाई की मार से बेहाल, आतंकवादी हमलों से सहमे, सांप्रदायिक हिंसा से खौफ खाये, एक बेहद मुश्किल दौर से गुजरते आम आदमी के चेहरे पर तब मुस्कराहट लौट आती है जब दूर बीजिंग से ख़बर आती है, कि एक २४ वर्षीय युवा ने ओलंपिक में तिरंगा लहराया है. अपनी तमाम चिताएं, और परेशानियों को भूलकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर भारतीय फ़िर एक बार भारतीय होने का गर्व महसूस करने लगता है. आज हमें एक नही, दो नही हजारों, करोड़ों अभिनव बिंद्रा चाहिए, जो असंख्य देश प्रेमियों की, अनगिनत कुर्बानियों की बदौलत मिले इस आज़ादी के तोहफे का मान रख सके. आज हिंद युग्म, देश के युवाओं से अपील करता है कि वो आगे बढ़ें और कमान संभालें, राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखें, अपने लिए सही राह चुनें, जीत के लक्ष्य को लेकर चलें, और अपने भीतर छुपे "अभिनव" को बाहर लेकर आयें. कुछ ऐसे ही भावों से ओत प्रेत है, हमारा आज के ये गीत भी. इस गीत के माध्यम से एक ब...

वो पीपल का पत्ता, है अब भी अकेला...

दूसरे सत्र के छठे गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज. आज हम अपने संगीत प्रेमियों के समक्ष लेकर आए हैं, एक और ताज़ी आवाज़, सुदीप यशराज की, ये युग्म के संगीत इतिहास में दूसरी बार है, जब किसी भी गीत के समस्त पक्ष को एक ही कलाकार ने संभाला है. सुदीप ने यह गीत ख़ुद ही लिखा, स्वरबद्ध किया और गाया है, उनका संगीत ताजगी भरा है और हमें यकीं हैं कि नयेपन की कमी जो हमारे कुछ श्रोताओं को महसूस हुई है अब तक, वो इस गीत के साथ दूर हो जायेगी. तो सुनें ये ताज़ा गीत, और अपने विचारों से सुदीप का प्रोत्साहन/मार्गदर्शन करें. गीत सुनने के लिए प्लेयर पर क्लिक करें. This Friday, we are introducing another very talented upcoming composer and singer, Sudeep Yashraaj to you. Sudeep is here with a new genre of sound, this song has a fresh new feel to it. With a very new way of writing and singing we are sure that he will steal your heart with his "beinteha pyar...". So enjoy this brand new song and do leave your comments as well. To listen to the song, please click on the player Lyrics: Vo o o o o, Beinteha pyar ...

एक चांदनी का झरना बन जाती मैं...

दूसरे सत्र के पांचवे गीत का विश्व व्यापी उदघाटन आज. दोस्तो, प्रस्तुत है पांचवा गीत, संगीतकार हैं एक बार फ़िर ऋषि एस , जिनका भी संयोगवश ये पांचवा ही गीत है युग्म के संगीत संग्रह के लिए, साथ में हैं उनके जोडीदार गीतकार सजीव सारथी . ये नए सत्र का पहला फिमेल सोलो गीत है और आवाज़ है मानसी पिम्पले की, जो इससे पहले " बढ़े चलो" में अपनी उपस्थिति बखूबी दर्ज करा चुकी है. तो सुनें और बताएं कैसा लगा आपको ये ताज़ा गीत. गीत को सुनने के लिए प्लेयर पर क्लिक करें Friends, here we bring another fresh song made through the internet jamming, like many of our earlier songs. This is the first female solo song for this new season, rendered by Mansi Pimpley , composed by Rishi.S and written by Sajeev Sarathie . "Mein nadi..".is essentially a "feel good" song. A song that is intended to make the listener feel natural and playful about life. It reminds people to be happy in life. It reflects this mood through the character of a playful girl. So guys listen to this brand new song and...

तेरे चेहरे पे, एक खामोशी नज़र आती है...

आवाज़ पर संगीत के दूसरे सत्र के, चौथे गीत का विश्व व्यापी उदघाटन आज. संगीत प्रेमियो, इस शुक्रवार, बारी है एक और नए गीत की, और एक बार फ़िर संगीत पटल पर दस्तक दे रहे हैं एक और युवा संगीतकार अनुरूप , जो अपने साथ लेकर आए हैं, ग़ज़ल-गायन में तेज़ी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराती एक आवाज़ निशांत अक्षर . ग़ज़लकार है युग्म के छायाचित्रकार कवि मनुज मेहता . " पहला सुर " की दो ग़ज़लों के कलमकार, निखिल आनंद गिरि का आल इंडिया रेडियो पर साक्षात्कार सुनकर, अनुरूप ने युग्म से जुड़ने की इच्छा जताई और शुरू हुआ संगीत का एक नया सिलसिला. मनुज के बोल और निशांत से स्वर मिलें तो बनी, नए सत्र की यह पहली ग़ज़ल -"तेरे चेहरे पे". तो दोस्तो, आनंद लीजिये इस ताजातरीन प्रस्तुति का, और अपनी मूल्यवान टिप्पणियों से इस नई टीम का मार्गदर्शन / प्रोत्साहन करें. ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें - Hind Yugm, once again proudly present another, very young ( just 18 yrs old ) and talented composer, Anuroop from New Delhi, for whom composing ghazal is just natural, this ghazal here has been made keepin...

कोलकत्ता से उड़ता उड़ता आया " आवारा दिल " - दूसरे सत्र के, तीसरे नए गीत का, विश्व व्यापी उदघाटन आज

इस शुक्रवार आवाज़ पर हैं, १६ वर्षीय युवा संगीतकार. कोलकत्ता के सुभोजेत का, स्वरबद्ध किया गीत " आवारा दिल ", यह गीत भी बिल्कुल वैसे ही बना है, जैसे अब तक, युग्म के अधिकतर गीत बने हैं, अर्थात अलग अलग, तीन शहरों में बैठे गीतकार, संगीतकार और गायक ने, व्यक्तिगत रूप से बिना मिले, इन्टरनेट के माध्यम से टीम बना कर मुक्कमल किया है, यह गीत भी. यहाँ कोलकत्ता के सुभोजेत को साथ मिला, दिल्ली के गीतकार सजीव सारथी का, और नागपुर के गायक, सुबोध साठे का. सजीव का युग्म के लिए यह आठवां सोलो गीत है, और सुबोध ने यहाँ चौथी बार अपनी गायकी का जौहर दिखाया है. अपना पहला गीत सुभोजेत ने, उन आवारा क़दमों को समर्पित किया हैं, जो जीवन नाम के सफर में, हर पल को भरपूर जीते हैं, सुख-दुःख, धूप-छांव, हर मुकाम से हँस कर गुजरते हैं, और जहाँ जाते हैं बस खुशियाँ बाँटते हैं. तो सुनिए मस्ती भरा, यह गीत, और अपनी बेबाक समीक्षा से इस टीम का मार्गदर्शन करें. "आवारा दिल" को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें. This 16 years old composer, from Dumdum Cantt, Kolkatta, is the youngest of the bunch we have, Subh...

ए आर रहमान और हरिहरन के दीवाने हैं - निखिल

आवाज़ पर इस हफ्ते के सितारे हैं, निखिल वर्गीस राजन. १७ वर्षीया निखिल मूल रूप से एक संगीतकार और गायक हैं, जिनकी मात्रभाषा मलयालम है. की बोर्ड और तबला इनका प्रिय वाद्य-यन्त्र है, अरूधंती राय की पुस्तकें पढ़ना इन्हें पसंद हैं और क्रिकेट और फुटबाल खेलने का भी शौक रखते हैं, संगीतकारों/गायकों में इन्हें ए आर रहमान और हरिहरन सबसे अधिक भाते हैं, केरल के कोठाराकरा में इनका घर है, मगर आज कल अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं कोयम्बतूर, तमिल नाडू के करुणया महाविद्यालय से, इनका पहला गीत जो इन्होने युग्म के लिए किया वो है " संगीत दिलों का उत्सव है ", जिसमें इनका काम बेहद सराहा गया, जब उनसे हिंद युग्म की टीम ने पूछा कि कैसा रहा, उनका अनुभव हिंद युग्म के लिए इस गीत को बनाने में तो उन्होंने अपनी बात इस तरह रखी, पढ़िए उन्हीं की ज़ुबानी - hi, namaskaar…..I am Nikhil Varghese Rajan, the composer of this song. I am doing my B-Tech in Karunya Univesity ,Coimbatore.I am very happy that you guys gave a good response for my first song. My whole hearted thanks for this encouragement. I am very proud...

संगीत दिलों का उत्सव है - संगीत के नए सत्र की पहली सौगात

मित्रों, आज से आवाज़ पर शुरू हो रहा है, संगीत का एक नया उत्सव," पहला सुर " के कामियाब प्रयोग के बाद संगीत का ये नया सत्र शुरू करते हुए, हिंद युग्म उम्मीद करता है कि इस सत्र में प्रस्तुत होने वाले सभी गीत आपको और अधिक पसंद आयेंगे, जो संगीतकार हमारे साथ पहली एल्बम में जुड़े थे उनके भी संगीत में आप गजब की परिपक्वता देंखेंगे और उससे भी ज्यादा खुशी की बात यह है कि जो नए संगीतकार इस बार जुड़े हैं, सभी नौजवान हैं और बेहद गुणी हैं अपने फन में. संयोगवश जिस गीत को हमने इस सत्र की शुरुवात करने के लिए चुना है, वो भी दस्तक है एक नए युवा संगीतकार जोड़ी की, जो दूर केरल के दो प्रान्तों में रहते हैं और कोयम्बतूर के करुणया महाविद्यालय से b-tech की पढ़ाई कर रहे हैं, इनके नाम है निखिल और चार्ल्स , निखिल के संगीत में जहाँ बारिश में भीगी मिटटी की सौंधी सौंधी महक मिलेगी आपको, तो चार्ल्स के गायन में किसी निर्झर सा प्रवाह, एक और आवाज़ है इस गीत में, गायिका मिथिला की, जिन्होंने बाखूबी साथ दिया है इस जोड़ी का, इस गीत को और खूबसूरत बनाने में, सजीव सारथी के लिखे, इस गीत को अपने एक दोस्त के होम स्टूडियो में ...