सुर संगम - 02 उन दोनों में जो आपसी सम्मान और प्यार था, वो उनकी प्रस्तुतिओं में साफ़ महसूस की जा सकती थी। जब भी ये दोनों साथ में कॊन्सर्ट्स करते थे तो शो हाउसफ़ुल हुआ करता था, और जब दोनों साथ में रेकॊर्डिंग् करते थे तो उनके रेकॊर्ड्स भी हज़ारों, लाखों की तादाद में बिकते और आज भी बिकते हैं। सु प्रभात! रविवार की इस ठिठुरती सुबह में शास्त्रीय संगीत के इस स्तंभ 'सुर संगम' के साथ मैं, सुजॊय हाज़िर हूँ। पिछले सप्ताह से इस साप्ताहिक स्तंभ की शुरुआत हुई थी और हमने सुनी थी उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ साहब की गाई राग गुणकली। आज बारी एक जुगलबंदी की, और जिन दो कलाकारों की यह जुगलबंदी है, वे दोनों ही अपनी अपनी विधाओं में, अपने अपने साज़ों में बहुत ऊँचा मुकाम बनाया है, महारथ हासिल है। इनमें से एक हैं सुविख्यात सितार वादक उस्ताद विलायत ख़ान और दूसरे हैं शहनाई सम्राट उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ान। सन् १९६७ में इन दोनों के जुगलबंदी की एक रेकॊर्ड जारी हुई थी 'Duets From India' के शीर्षक से। हमने जुगलबंदी तो कहा, लेकिन तकनीकी दृष्टि से इसे जुगलबंदी नहीं कहेंगे, बल्कि यह एक भैरवी आधारित ठुमरी है।